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इस बार शादियों में मिठाइयां मिलेगी कम, फीकी रहेगी रौनक

मध्यम वर्गीय घरों में होने वाले फंक्शन भी हुए कम, कारोबारियों का कहना, लोग सोच-समझकर कर रहे खर्च

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jaipur

जयपुर. जीएसटी लागू होने के बाद आया पहला सावा शादी के घरवालों के लिए मुसीबत से कम नहीं है। महंगाई के कारण अनेक घरों ने शादी के बजट में कटौती कर दी है। इसका असर शादी के मंडप की सजावट से लेकर खाने के मेन्यू तक नजर आ सकता है। हलवाई और कैटरर्स के यहां इस बार आई बुकिंग से कुछ एेसा ही लग रहा है। कारोबारियों का कहना है कि नोटबंदी के बाद जीएसटी के कारण बजट में कटौती करनी पड़ रही है। कैटरर्स के साथ ही सजावट, बैंड वालों का भी कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार 40 फीसदी ही कारोबार है। कैटरिंग व्यवसायी जीवन बल्लभ पीतलिया ने बताया कि पिछले साल शादियों से ठीक पहले नोटबंदी ने कमर तोड़ दी थी और अब जीएसटी ने व्यापार की कमर तोड़ दी है।

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ऐसे बिगड़ा बजट
28 फीसदी टैक्स है प्लाईबोर्ड से बने फर्नीचर का
12 फीसदी टैक्स हैं ब्रांडेड कपड़ों की खरीदारी पर (1000 रुपए से अधिक)
28 फीसदी तक टैक्स लग रहा ब्रांडेड मेकअप सामान पर
28 फीसदी तक टैक्स होटल में शादी कार्यक्रम करने पर

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ऑर्डर मिले कम
वहीं, हलवाइयों की मानें तो खान-पान पर भी लोगों ने कम खर्च कर दिया है। पहले जहां आठ से दस तरह की मिठाई और खाने में 12 से अधिक आइटम होते थे, वहीं इस बार इसमें तीन से चार मेन्यू तक की कटौती कर लोग बुकिंग कर रहे हैं।

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25 फीसदी तक असर
शादी के अलावा अन्य कार्यक्रम के लिए भी मैरिज गार्डन बुक होते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। व्यवसाय पर 25 फीसदी तक असर पड़ा है। लोग कार्यक्रमों के खर्चों में कटौती कर रहे हैं।
पर्वत सिंह भाटी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान टैंट डीलर व्यवसाय समिति