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डीजी होमगार्ड ने उठाया सरकार के आदेश पर सवाल

होमगार्ड को अलग अलग मानदेय देने मामला, होमगार्ड को सरकार दे रही है 693 व 530 रुपए मानदेय

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जयपुर /
पुलिस महानिदेशक होमगार्ड नवदीप सिंह ने सरकार के आदेश पर ही सवाल उठा दिया है। मामला होमगार्ड को सरकार से दिए जाने वाले मानदेय से जुड़ा है। सरकार ने होमगार्ड को अलग—अलग मानदेय के आदेश जारी कर रखे हैं और महानिदेशक सिंह ने इस आदेश को स्वयंसेवकों के मनोबल के प्रतिकूल बताते हुए पुनर्विचार का आग्रह किया है।
पुलिस महानिदेशक होमगार्ड नवदीप सिंह ने पिछले दिनों अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह दीपक उप्रेती को पत्र लिखा है। सिंह ने होमगार्ड के लिए अलग—अलग मानदेय के आदेश को युक्ति संगत नहीं बताते हुए इसे वापस लेने की बात कही है। पिफलहाल मामला गृह विभाग में विचाराधीन है। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बजट सत्र में होमगार्ड का मानदेय बढ़ाकर 693 रुपए करने की घोषणा की थी। बाद में कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए विभाग ने मानदेय को दो श्रेणियों 693 व 530 रुपए में बांटते हुए आदेश जारी कर दिए थे।

योग्यता—ट्रेनिंग समान, मानदेय अलग क्यों ...
डीजी होमगार्ड नवदीप सिंह ने लिखा है कि होमगार्ड स्वयंसेवकों के चयन की निर्धारित योग्यता व प्रशिक्षण एक ही प्रकार का है, परंतु आदेश में मानदेय को दो श्रेणियों में विभक्त कर दिया है। इससे स्वयंसेवकों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

पुलिस में समान तो यहां क्यों नहीं ...
पुलिस व अन्य वर्दीधारी विभागों में कांस्टेबल से सुरक्षा ड्यूटी के अलावा कम्यूटर कार्य, लिपिकीय कार्य भी लिया जाता है, लेकिन वेतनमान समान होते हैं। इधर होमगार्ड स्वयंसेवकों के कार्य की प्रकृति के अनुसार मानदेय विभक्त कर दिया, जो युक्ति संगत प्रतीत नहीं होता है। पूर्व में समय समय पर स्वीकृत मानदेय में एक समानता रखी गई है।

भ्रष्टाचार की आशंका भी जताई ..
होमगार्ड महानिदेशक ने मानदेय अलग—अलग करने पर भ्रष्टाचार की भी आशंका जताई है। उन्होंने लिखा कि प्रत्येक होमगार्ड अधिक मानदेय राशि 693 वाली ड्यूटी लगवाना चाहेगा। इससे भ्रष्टाचार से इनकार नहीं किया जा सकता है।

समान मानदेय,नहीं पड़ेगा वित्तीय भार..
होमगार्ड डिप्लोयमेंट में 85 प्रतिशत होमगार्ड मेले, रात्रिगश्त, यातायात, भेड़ निष्क्रमण, जेल प्रहरी आदि सुरक्षा कार्यों में लगे रहते हैं। मात्र 15 प्रतिशत होमगार्ड विभिन्न सरकारी—अर्धसरकारी कार्यालयों, निकायों, सचिवालय, मंत्रियों के चतुर्थश्रेणी कर्मचारी या लिपिक का कार्य कर रहे हैं। अवकाश के कारण इन्हें करीब 20 दिन की राशि मिल पाती है। ऐसे में इन्हें भी 693 भुगतान दिया जाए तो राज्य सरकार पर कोई भार नहीं पड़ेगा।