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क्या आप जानते हैं कि शुक्र का 8 साल में होता है एक पारगमन

सौर मंडल में दुर्लभ खगोलीय घटनाओं में से एक है दो ग्रहों, ग्रह और तारे या उपग्रह का एक-दूसरे के सामने से गुजरना। एक घटना को हम बार बार देखते भी हैं। चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के माध्यम से। इसके अलावा भी अन्य ग्रह, तारे और उपग्रह समय समय पर एक दूसरे के सामने से गुजरते रहते हैं लेकिन कई बेहद दुर्लभ होते हैं।

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सौर मंडल में दुर्लभ खगोलीय घटनाओं में से एक है दो ग्रहों, ग्रह और तारे या उपग्रह का एक-दूसरे के सामने से गुजरना। एक घटना को हम बार बार देखते भी हैं। चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के माध्यम से। इसके अलावा भी अन्य ग्रह, तारे और उपग्रह समय समय पर एक दूसरे के सामने से गुजरते रहते हैं लेकिन कई बेहद दुर्लभ होते हैं।

कई दुर्लभ मामलों में सदी लग जाती है तो कई में सालों। इन्हें हम नंगी आंखों से देख भी नहीं पाते हैं। दो ग्रहों, ग्रह और तारे या उपग्रह का एक-दूसरे के सामने से गुजरने को की प्रकिया को वैज्ञानिक पारगमन या ट्रांजिट कहते हैं। यह सौर मंडलीय घटना इसलिए दुर्लभ है क्योंकि कुछ ग्रहों का पारगमन, कई हजार शताब्दियों के बाद घटित होता है।

ऐसे होता है पारगमन

जब बुध या शुक्र ग्रह, सूर्य के सामने से गुजरते हैं, तो ऐसी खगोलीय घटनाएं पृथ्वी से देखी जा सकती हैं। इसी तरह, बुध, शुक्रऔर पृथ्वी को मंगल ग्रह पर बैठा कोई ऑब्जर्वर सूर्य के सामने से गुजरते हुए देख सकता है। सूर्य ग्रहण की तुलना में पारगमन बहुत दुर्लभ खगोलीय घटना है। प्रत्येक शताब्दी में बुध के औसतन 13 और शुक्र का एक पारगमन ज्यादा दुर्लभ होता है।

महत्वपूर्ण पारगमन

पारगमन ने खगोलविदों को महत्त्वपूर्ण गणितीय और वैज्ञानिक जानकारियां प्रदान की हैं। शुक्रके सन 1639 के पारगमन ने खगोलविदों को शुक्र के आकार और सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का अनुमान लगाने में महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई। वहीं वर्ष 1761 और 1769 के अनुमानित पारगमन ने पैरालैक्स सिद्धांत का उपयोग कर सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को और सटीकता से नापा था।