
हिमांशु शर्मा
जयपुर। देश में नोटबंदी के बाद बदली आर्थिक व्यवस्था का रायथल गांव पहला गवाह बन गया है। पांच हजार की आबादी का यह गांव पूरी तरह से डिजीटल गांव बन गया है। आईसीआईसीआई बैंक के सहयोग से जयपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर इस गांव में अब कैशलेस लेन-देन होने लगा है। इस गांव में मोबाइल पर ई बैंकिंग के जरिए ही पैसों को लेन-देन होने लगा है। बैंक के दिए प्रशिक्षण से गांव के विद्यार्थी, व्यापारी, दूध विक्रेता, महिलाएं सभी अब नकद लेन-देन के बजाए कैशलेस भुगतान करने लगे हैं। रायथल गांव की सरपंच मंजू यादव का कहना है कि बैंक ने गांव के सभी लोगों को प्रशिक्षण दिया।
रायथल गांव के डिजीटल होने के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार भी मिला। इसमें इस गांव में एकमात्र बैंक की शाखा ने गांव को डिजीटल बनाने की पहल के साथ साथ महिलाओं को डेयरी व्यवसाय में प्रशिक्षित किया और सिलाई के लिए भी प्रशिक्षण दिया। इसके बाद महिलाओं को काम तो मिला ही साथ ही वह हर माह पांच से दस हजार रुपए मासिक भी कमाने लगी। बैंक से प्रशिक्षण ले चुकी प्रशिक्षणार्थी नीलम शर्मा ने बताया वह सिलाई करती है। उस कपड़े को बेचने की व्यवस्था भी बैंक ने ही करवा रखी है। नीलम के किए काम का उसे पैसा उसके बैंक अकाउंट में डिजीटल लेन देन से मिल जाता है। वही प्रशिक्षणार्थी किरण कंवर ने बताया बैंक से मिले प्रशिक्षण के बाद वह अब 10 से 12 हजार रुपए मासिक कमा लेती है।
डेयरी व्यवसाय से जुड़े है इस गांव के लोग
चांदपोल गेट से करीब तीस किलोमीटर दूरी पर स्थित रायथल गांव के ज्यादातर लोग कृषि और डेयरी व्यवसाय से जुड़े हैं। गांव के डिजीटल बनने का सबसे ज्यादा फायदा दूध संकलन करने वाले डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों को हुआ। लोगों पैसे के लेन-देन में लगने वाले समय की बचत हुई और सौ लोगों को एक साथ तक डिजीटल लेने देन से पेमेंट किया जाने लगा।
Published on:
26 Dec 2017 12:34 pm
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