जयपुर। प्रदेश में इन दिनों सांप डसने के कई मामले सामने आ रहे हैं। और इनमें कई लोगों की मौत भी हुई है। सांप डसने के बाद मौत के कारणों की बात की जाए तो अधिकांश मौत उन लोगों की होती है, जिन्हें सांप डसने के बाद झाड़-फूंक करने वालो के पास ले जाया गया। और झाड़-फूंक के चक्कर में पीड़ित अपनी जान गवा देता है। या फिर उन लोगों की जान गई जिन्हें सांप डसने के बाद इलाज के लिए अस्पताल ही नहीं ले जाया गया। पिछले दिनों ऐसा ही मामला दौसा इलाके में आया। जहां सांप डसने के बाद परिजन अपनी दो मासूम बालिकाओं को झाड़फूंक करने वाले के पास ले गए। और झाड़फूंक के चक्कर में दोनों बालिकाओं की जान चली गई।
जयपुर में रक्षा स्नेक हेल्पलाइन के स्नेक केचर रोहित गंगवाल ने बताया कि राजस्थान में 37 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। इनमें से 32 प्रजाति के सांप विश इन होते हैं। 5 प्रजाति के साथ जहरीले होते हैं। इनमें कोबरा यानी काला नाग, करेट, फुरसा, घोनस, सिंध करेट जहरीले सांप होते हैं। कई बार लोगों को विषहीन सांप काट लेते हैं तो लोग झाड़-फूंक वाले के पास चले जाते हैं। विषहीन सांप के प्रभाव से व्यक्ति की मौत नहीं होती है। लेकिन लोगों को यह विश्वास हो जाता है कि झाड़-फूंक के चक्कर में उनके उनके परिजन की जान बच गई। ऐसे में कभी इन पांच प्रजाति के जहरीले नागो में से अगर कोई किसी को काट लेता है तो उस व्यक्ति का बचना मुश्किल हो जाता है। लेकिन लोग उस समय भी अपने व्यक्ति को झाड़ फूंक करने वालों के पास ले जाते हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति की जान चली जाती हैं।
स्नेक केचर रोहित गंगवाल का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है तो उसे घबराने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि कैसा भी सांप अगर काट लेता है तो उस व्यक्ति के पास 2 घंटे से ज्यादा का समय होता है। इस समय को फालतू गवाना नहीं चाहिए। सांप डसने वाले व्यक्ति को तत्काल अस्पताल ले जाना चाहिए। जहां उसे पॉलीवैलेंट एंटी वेनम दवा दी जाती है। और सांप के डसने का एकमात्र इलाज यही है। सिर्फ डॉक्टर्स की देखरेख में ही यह इलाज होता है। इसलिए सांप डसने के बाद अस्पताल जाना चाहिए। वही अगर किसी व्यक्ति को सांप डस लेता है तो उसे डराये नहीं, उस व्यक्ति को खिलाये पिलाये नहीं, सोने नहीं दे, उससे बात करते रहें और उसे अस्पताल ले जाएं।
जयपुर में सबसे ज्यादा निकलते हैं कोबरा
जयपुर शहर की बात की जाए तो जयपुर में सबसे ज्यादा कोबरा यानी काला नाग निकलता है। स्नेक कैचर रोहित गंगवाल का कहना है कि हमारे पास प्रतिदिन 20 से 25 कॉल आते हैं। इनमें से 5 से 7 स्थानों पर कोबरा पकड़े जाते हैं। जिसका कारण यह है अधिकांश आबादी वाले इलाके अब वहां बस गए हैं जहां पहले जंगल हुआ करते थे। वही अब कोबरा व अन्य सांप लोगों के साथ रहना सीख गए हैं। व लोगों के साथ रहने के आदी हो गए हैं। इसलिए अब आबादी क्षेत्र कोबरा ज्यादा निकलता है।
झाड़फूंक के चक्कर में मरने वालों के मामले..
केस 1 – पिछले सप्ताह दौसा जिले के सूरजपुरा गांव के रामबास वालों की ढाणी में सांप के डसने से दो बालिकाओ की मौत हो गई। मामले के अनुसार रोहिताश मीणा परिवार के साथ कमरे में सोया हुआ था। रात को बेटी वंश व मान्या को सांप ने डस लिया। परिजन अस्पताल जाने की बजाय झाड़ फूंक करने वाले के पास अपनी बेटियों को ले गए। जहां बाबा झाड़ फूंक करता रहा और भस्म देता रहा। जिसके चक्कर में दोनो बच्चियेां की मौत हो गई।
केस 2- पिछले दिनों बांसवाड़ा के डूंगरिया गांव में सर्प दंश से बुजुर्ग की मौत हो गई। परिजन उपचार के लिए बांसवाड़ा एमजी हॉस्पिटल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डूंगरिया निवासी कन्हैयालाल वडेरी सुबह उठने के बाद कवेलूपाेश कोठरी में सफाई कर रहे थे। जहां सांप ने डस लिया। परिजन बुजुर्ग को अस्पताल ले जाने की बजाय झाड़ फूंक करने वाले के पास ले गए। जो झाड़ फूंक करता रहा। जिसके चक्कर में बुजु्र्ग की मौत हो गई।