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जयपुर: कोरोना की दूसरी लहर में जब लोग उम्मीद खोने लगे थे, उस वक्त वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.शिव गौतम (74) ने हिम्मत नहीं हारी। वे खुद संक्रमित हो गए और 51 दिन तक अस्पताल के आइसीयू में भर्ती रहे। उन्होंने मौत से जंग जीतकर न केवल जीवन को फिर से थामा, बल्कि मरीजों की सेवा में भी लौट आए।
डॉ. गौतम के अनुसार कोविड ने शरीर को कमजोर किया, लेकिन इरादों को नहीं। 74 की उम्र में भी खुद को 47 साल जैसा सक्रिय महसूस करता हूं। इसकी वजह उन्होंने मजबूत इच्छा शक्ति और सेवा भावना को बताया है।
संक्रमण के कारण उन्हें लंबे समय तक कई जटिलताओं का सामना करना पड़ा। तीन महीने तक उनका कमरा सेमी-आइसीयू में तब्दील रहा। इस दौरान वे टेलीमेडिसिन के जरिये रोगियों की काउंसलिंग करते रहे। आज भी वे पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन से जूझ रहे हैं, लेकिन पूरी ऊर्जा के साथ मरीजों की सेवा में लगे हैं।
डॉ.गौतम ने बताया कि शुरुआत में सांस लेने में दिक्कत हुई, लेकिन हालत तेजी से बिगड़ी और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। आइसीयू में हर दिन मौत को करीब से देखा, कई मरीजों ने उनके सामने ही दम तोड़ा। गीता और वेद पढ़े, मन को संभाला और पहले ही दिन डायरी लिखना शुरू किया। उसमें हर दिन के अनुभव को शब्दों में उतारा। उनके अनुभवों पर आधारित एक किताब जल्द प्रकाशित होने जा रही है, जिसमें आइसीयू में बिताए दिनों की मानसिक और आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाया गया है। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने लोगों से डरने की बजाय साहस बनाए रखने की अपील की। उसे लोगों ने देखा और सराहा भी।
Published on:
01 Jul 2025 11:16 am
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