
जयपुर। प्रदेश में सेवारत डॉक्टरों और राज्य सरकार के बीच अहम की लडाई अब चरम पर पहुंच गई है। सेवारत डॉक्टरों का एक महीने में ही यह दूसरा उग्र आंदोलन होने जा रहा है। 18 दिसंबर से डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश से पहले सरकार पूरी तरह निष्क्रिय है और डॉक्टरों से वार्ता की कोई पहल अब तक नहीं की गई है। गौरतलब है कि 12 नवंबर को हुए समझौते को पूरा करने से पहले ही सरकार ने पहले पदाधिकारी डॉक्टरों के तबादले निरस्त किए, फिर चिकित्सा मंत्री ने डॉक्टरों को चींटी कहा और अब डॉक्टरों को नोटिसों की भरमार से आंदोलन और उग्र होता जा रहा है।
सेवारत चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ.दुर्गाशंकर सैनी ने कहा कि डॉक्टर कई दिनों से शांत आंदोलन ही कर रहे हैं। लेकिन सरकार वार्ता नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को उ्रग्र आंदोलन की परिभाषा ही समझ में आ रही है। वहीं एक बार फिर सामूहिक अवकाश की घोषणा से चिकित्सा विभाग में खलबली मची हुई है और अधिकारी सामूहिक अवकाश के दौरान वैकल्पिक इंतजामों में लगे रहे। सेवरत डॉक्टरों की ओर से अस्पतालों के बाहर टेंट लगाकर समानान्तर ओपीडी भी जारी है।
यह है सेवारत चिकित्सकों की प्रमुख मांगे
प्रदेश महासचिव डॉ.दुर्गाशंकर सैनी ने बताया कि प्रदेश में सेवारत चिकित्सकों के साथ हुए समझौते की मूल भावना के अनुरूप क्रियान्वयन किया जाए। 12 सेवारत चिकित्सकों के स्थानांतरण आदेश निरस्त हो, अतिरिक्त निदेशक राजपि़त्रत के पद पर सेवारत चिकित्सक लगाया जाए, सामूहिक अवकाश अवधि को अवकाश में समायोजित करने, सेवारत चिकित्सकों के आंदोलन के दौरान चिकित्सकों के खिलाफ दर्ज प्रकरण व अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश निरस्त करने की मांग की गई है।
तबादलों और डॉक्टरों को चींटी कहने से फिर भड़का आंदोलन
पिछले महीने 12 नवंबर को हुए समझौते के बाद पदाधिकारियों के तबादलों और बाद में चिकित्सा मंत्री की ओर से डॉक्टरों को चींटी की संज्ञा देने के बाद आंदोलन ने फिर उग्र रूप ले लिया।
Published on:
14 Dec 2017 04:16 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
