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जयपुर ।
शुक्रवार को चाँद दिखने के बाद से शनिवार को पूरे देश भर में ईद का पर्व मनाया जाएगा। माहे रमजान में चांद दिखते ही लोगों के चेहरे पर खुशी छा गई। लोगों ने एक-दूसरों से मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। इसके बाद बाजार में खरीदारी का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा।
रोजेदारों के इनाम का दिन ईद-उल-फितर शनिवार को हर्षोल्लास के माहौल में अकीदत से मनाया जाएगा। ईद का चाँद दिखने के बाद पहले जामा मस्जिद, जौहरी बाजार में सेंट्रल हिलाल कमेटी की बैठक हुई। कमेटी के कन्वीनर चीफ काजी खादिल उस्मानी ने चांद दिखने की घोषणा की।
राजधानी जयपुर में पहला रोजा 18 मई को रखा गया था। ऐसे में इस बार ईद के चांद को लेकर असंमजस की स्थिति बन गई थी। कैलेंड़र में ईद का पर्व 15 जून को बताया गया था। यदि ईद का पर्व 15 जून को मनाया जाता तो रोजे की संख्या 28 रह जाएगी। ऐसे में पहले से ही कयास लगाया जा रहा था कि ईद का चांद 15 जून को भी दिख सकता है।
ऐसे मनाई जाती है ईद
इस्लामिक कैलेंडर के 9वें महीने यानी रमजान के पूरे महीने का रोजा रखने के बाद 10वें महीने यानी सव्वाल का चांद दिखने के बाद सव्वाल महीने की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है। ईद के दिन सभी मुसलमान सुबह सवेरे सबसे पहले नहा-धोकर पाक होते हैं। इसके बाद नए कपड़े पहनकर औज खूशबू लगाते हैं। फिर कुछ भी मीठा खाकर ईद की नमाज के लिए ईदगाह या फिर मस्जिद जाते हैं। यहां सभी अमीर-गरीब सभी एक सफ में खड़े होकर कंधे से कंधा मिलाकर ईद की नमाज अदा करते हैं।
ईद की नमाज अदा करने के बाद सभी एक दूसरे के गिले-शिकवे को भुलाकर गले लगकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। इसके बाद दोस्तों और रिश्तेदारों को घरों में बुलाने और फिर सेवई व शीर खोरमा खाने खिलाने का दौर चलता है। इस दौरान बड़े बच्चों को ईदी के तौर पर पैसे और तोहफे देते हैं। ईदी पाकर बच्चों की खुशी देखने लायक होती है। ईद वाले दिन भाई अपने बहन के यहां ईदी लेकर भी जाते हैं।

Published on:
16 Jun 2018 03:06 am
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