
प्रतीकात्मक तस्वीर
भवनेश गुप्ता
राजस्थान के जयपुर में विद्युत सप्लाई में व्यवधान, टूटी केबल को सुधारना, खराब मीटर बदलने, नया कनेक्शन और अन्य परेशानी निर्धारित समय पर दूर नहीं होने पर भी उपभोक्ताओं को हर्जाना (क्षतिपूर्ति) नहीं मिल रहा। केन्द्र सरकार ने उपभोक्ताओं को क्षतिपूर्ति के रूप में प्रतिदिन 500 रुपए देने का प्रावधान किया, लेकिन राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने पहले तो इस पर कैंची चलाकर 75 से 150 रुपए कर दिया और अब डिस्कॉम्स प्रभावितों की शिकायतों को सेवा दोष में शामिल नहीं कर रहे।
डिस्कॉम्स की आयोग को भेजी तिमाही रिपोर्ट में सामने आया है कि केवल दो उपभोक्ताओं को हर्जाना दिया गया। इसमें कोटा में एक उपभोक्ता को 5 हजार रुपए (अन्य मामले में) और दूसरा उपभोक्ता फलोदी का है, जिसे केवल 18.50 रुपए दिए गए।
राजस्थान में करीब 1.50 करोड़ बिजली उपभोक्ता है, लेकिन क्षतिपूर्ति देने का यह आंकड़ा जनता की जवाबदेही की पोल खोलने के लिए काफी है। जयपुर, अजमेर व जोधपुर तीनों डिस्कॉम में यह हालात बने हुए हैं। डिस्काम्स भी केवल उन्हीं मामलों में सक्रिय हैं, जिनमें कोई विद्युत दुर्घटना के कारण मौत हो गई या फिर शारीरिक रूप से असक्षम हो गया हो। क्योंकि ऐसे मामलों को छिपाया नहीं जा सकता।
विद्युत मंत्रालय की एसओपी (स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस) में न्यूनतम 500 रुपए प्रतिदिन हर्जाने का प्रावधान किया गया, लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने जनता के हक पर कैंची चला दी। सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि अपने वेतन-भत्तों को एक मत से बढ़ाने का फैसला कराने वाले जनप्रतिनिधि जनता के हितों में कटौती पर मौन क्यों हैं।
नो करंट शिकायत : बडे शहर में दो घंटे, छोटे शहरों में छह घंटे और ग्रामीण इलाकों में आठ घंटे में शिकायत का निवारण
ओवर हेड लाइन टूटना : बडे शहर में 4 घंटे, छोटे शहरों में 6 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 10 घंटे में समाधान
अंडरलाइन केबल टूटना : बडे शहर में 12 घंटे, छोटे शहरों में 12 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 24 घंटे में निवारण
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर का फेल होना : बडे शहर में 8 घंटे, छोटे शहरों में 8 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 24 घंटे में किया जाए शिकायत का निवारण
हर्जाना - इन चारों मामलों में सेवादोष होने पर एलटी उपभोक्ताओं को 75 रुपए और एचटी उपभोक्ताओं को 150 के हर्जाने का प्रावधान है।
शिड्यूल शटडाउन : 24 घंटे का नहीं दिया गया नोटिस या फिर 7 घंटे से अधिक अवधि तक चलाया शटडाउन तो सेवादोष
हर्जाना - फीडर से जुड़े उपभोक्ताओं को 75 रुपए हर्जाना
(यह हर्जाना राशि डिस्कॉम्स की है,जबकि केन्द्र सरकार की एसओपी में पांच सौ रुपए प्रतिदिन तय किए गए थे। इनके अलावा कई अन्य सेवाएं भी हैं)
हर्जाना मांगने वालों में से ज्यादातर को टरकाया जाता रहा है। क्योंकि इससे डिस्कॉम्स को दो तरह से नुकसान है। एक आर्थिक भार बढ़ेगा और दूसरा उस पर सेवा दोष का टैग जाएगा। इससे संबंधित अधिकारी की परफोर्मेंस पर भी सवाल खड़े होंगे।
Published on:
15 Jan 2025 08:52 am
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