भीषण गर्मी के बीच बिजली कटौती ने जनता की परेशानी बढ़ा दी है। उत्पादन और डिमांड में 2500 मेगावाट तक अंतर गहरा गया है, जिससे ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में घोषित रूप से कटौती का समय आधे घंट से तीन घंटे तक पहुंच गया है। डिमांड पूरी करने के लिए ऊर्जा विकास निगम को एक्सचेंज से महंगी बिजली भी नहीं मिल पा रही है।
- गैस आधारित यह पावर प्लांट अंतिम बार पिछले वर्ष सितम्बर में चलाया गया था। करीब 15 दिन तक बिजली उत्पादन किया गया।
- इससे पहले वर्ष 2020 में करीब एक माह तक ही बिजली उत्पादन किया गया। इसके बाद संचालन बंद कर दिया गया।
- इस बीच बिजली कंपनियां पिछले पांच साल में 600 करोड़ रुपए फिक्स चार्ज के रूप में लुटा चुकी हैं।
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बिजली फॉल्ट, ट्रिपिंग, केबल जलने के मामले बढ़े, कई घंटे बिजली गुलप्रदेश में बिजली फॉल्ट, ट्रिपिंग, केबल जलने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इससे लोगों को गर्मी में कई घंटे तक बिना पंखे, कूलर के गुजारने पड़ रहे हैं। राजधानी जयपुर समेत कई बड़े शहरों में ही बदतर स्थिति है। जनता से लेकर जनप्रतिनिधि तक के फोन डिस्कॉम अफसरों के पास घनघना रहे हैं, लेकिन समय पर सुनवाई नहीं हो रही। इंजीनियर बचाव में तर्क दे रहे हैं कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल बिजली खपत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो गई। जबकि, हकीकत यह है कि जानकारी होने के बावजूद विद्युत तंत्र को पूरी तरह अपग्रेड नहीं किया गया।
-हीरालाल नागर, ऊर्जा मंत्री