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क्या महंगी होगी बिजली?

राजस्थान विद्युत (शुल्क) विधेयक-2023: प्रति यूनिट 1 रुपए विद्युत शुल्क और 50 पैसे सेस

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जयपुर। प्रति यूनिट एक रुपए तक विद्युत शुल्क और 50 पैसे तक सेस वसूलने के लिए लाया गया राजस्थान विद्युत (शुल्क) विधेयक – 2023 बुधवार को हंगामे के बीच विधान सभा से पारित हो गया। महज पांच मिनट में बिना चर्चा पारित हुए इस विधेयक को लेकर विपक्ष अब सदन के बाहर बवाल मचा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से बिजली डेढ़ रुपए तक महंगी कर रही है, वहीं सरकार कह रही है कि यह विधेयक तो सरकार के लिए अधिकतम सीमा तय कर उसे बांध रहा है।
61 साल पुराने कानून को बदलने को लेकर सरकार का कहना है कि राजस्थान विद्युत (शुल्क) अधिनियम 1962 भारतीय विद्युत अधिनियम 1910 के प्रावधानों पर आधारित था, लेेकिन केन्द्र सरकार ने 2003 में अपना कानून बदल दिया और यहां का कानून पुराना ही था। इस बीच बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और सप्लाई मैनेजमेंट सिस्टम भी काफी बदल चुका है।
सरकार का दावा, नहीं बदली बिजली की दरें
घरेलू, कृषि एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में कोई बदलाव नहीं किया। राजकीय उपक्रमों को छोड़कर सभी सरकारी संस्थानों, रेलवे, 100 वोल्ट से कम वोल्टेज बिजली उत्पादन करने वाले, सभी सरकारी शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल-डिस्पेंसरी तथा सार्वजनिक पूजा स्थल को विद्युत शुल्क से मुक्त रखा है।
यह किया बदलाव
पुराने कानून में राज्य सरकार के संस्थानों को विद्युत शुल्क से मुक्त नहीं रखा गया था, अब उनको भी छूट का लाभ दिया गया है। इसके अलावा विद्युत शुल्क और सेस की अधिकतम सीमा भी नहीं थी। पुराने कानून में जल संरक्षण व नगरीय उपकर दोनों के लिए अलग-अलग धाराएं थी, अब उपकर का प्रावधान एकसाथ कर उसे अधिकतम 50 पैसे कर दिया है।
विद्युत शुल्क 7 बार बढ़ा- राठौड़
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने विद्युत दरों में बदलाव न करने की घोषणा की, लेकिन सात बार दरें बढ़ाई गईं। 1 करोड़ 39 लाख उपभोक्ताओं को फ्यूल सरचार्ज लगाकर महंगी बिजली दी गई। महंगा कोयला महंगी बिजली के नाम पर उपभोक्ताओं पर भार डाला गया। सेस से मुफ्त बिजली वाले उपभोक्ताओं को बाहर नहीं रखा गया है।

वर्तमान स्थिति
नगरीय उपकर : 15 पैसे प्रति यूनिट। सालाना करीब 232 करोड़ रुपए वसूली।
विद्युत शुल्क: घरेलू, कॉमर्शियल, औद्योगिक उपभोक्ताओं से 40 पैसे और कृषि उपभोक्ता से 4 पैसे प्रति यूनिट। सालाना करीब 1886 करोड़ रुपए जमा।
जल संरक्षण उपकर : 10 पैसे प्रति यूनिट। कॉमर्शियल व औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं से सालाना करीब 311 करोड़ रुपए जमा।
फ्यूल सरचार्ज रहेगा अलग
सरकार विद्युत शुल्क व सेस के लिए कानून ला रही है, लेकिन फ्यूल सरचार्ज विधेयक के दायरे में नहीं ।