
पार्किंसंस बीमारी से पीडि़त लेकिन,१1 साल से खुद के खर्च पर कर रहे है पौधरोपण
जयपुर. ऑफिस जाते वक्त तेज धूप में माली सूखी घास में पानी दे रहा था, उस दृश्य से मन दृवित हो उठा। आसपास कई सारे पौधे झुलसे हुए देखे। तभी निश्चय किया की अब से रोज थोड़ा समय निकालकर पेड-पौधे लगाऊंगा। शुरुआती दिनों में पेड़ों के बीज लाकर नर्सरी का कार्य शुरू किया। उन्हीं पौधों को राजस्थान विश्वविद्यालय के स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स ग्राउंड, अकाउंट्स डिपार्टमेंट, साउथ एशिया ब्लॉक, एजुकेशन डिपार्टमेंट, हैल्थ सेंटर और छात्र सूचना कल्याण केन्द्र में लगाया। ये कहना है शहर के तिलकनगर निवासी 60 वर्षीय सत्यनारायण पुष्करना का। जिन्होंने २००6 में पौधरोपण करना शुरू किया और अब उनके लिए यह कार्य जीवन का हिस्सा बन चुका है। वे फिलहाल आरयू के अकाउंट्स सेक्शन में सहायक कुल सचिव के पद पर हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर पत्रिका से उन्होंने अपने पर्यावरण प्रेम को जाहिर किया।
बीमारी पर भारी प्रकृति प्रेम
साल २००५ में पार्किंसंस बीमारी की वजह से काफी परेशानी हुई। तब से पौधरोपण को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। यही कारण है कि रोज ऑफिस से आने के बाद घर पर बागवानी करता हूं। पुष्करना कई पार्को में पौधे लगा चुके हैं। वे मानते हैं कि अगर हर व्यक्ति दो पौधे लगाए तो कहीं भी वायु प्रदुषण की समस्या नहीं होगी। उनका मानना है कि आने वाले समय में प्रदूषण को रोकना है तो हमें ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने ही होंगे। खासतौर पर हमें प्लांटेशन को बढ़ावा देना होगा। सत्यनारायण 11 साल में अब तक 30 हजार से ज्यादा पौधे लगाने के साथ लोगों को उपहार स्वरूप दे चुके हैं।
हर साल ५०० से अधिक नि:शुल्क पौधे देते लोगों को
घर पर बनी नर्सरी में सत्यनारायण कई प्रजातियों के पौधे लगाते हैं। वे हर साल करीब ५०० से ज्यादा पौधे लोगों को उपहार में देते हैं। उन्होंने कहा की जब इसकी शुरुआत की तो साथी लोगों ने कहा की बीजों से पौधे पैदा कर प्लांटेशन नहीं हो सकेगा। लेकिन अब काफी लोग इस जज्बे को मानने लगे हैं और उनके साथ मुहीम से भी जुड़ गए हैं। घर पर बेकार पड़ी चीजों का इस्तेमाल पौधे लगाने के लिए करते हैं। इसमें वे दूध की थैलियां, खाली मटके, टूटे हुए बर्तन, प्लास्टिक के डिब्बे और प्लास्टिक के पाइप में पौधे लगाते हैं। जामुन, आम, हार शृंगार, आंवला, बिल्वपत्र, दिन का राजा, रात रानी और छायादार पौधे सहित कई पौधे उनकी नर्सरी में शामिल हैं।
फैक्ट फाइल
२००५ में पार्किंसंस बीमारी के चलते शारीरिक रूप से चलने में हुए असमर्थ
२००6 में पौधे लगाने की मुहीम शुरू की
५०० से भी अधिक पौधे हर साल लोगों को गिफ्ट करते
३०० फलदार पौधे लगाए राजस्थान यूनिवर्सिटी में
२० से भी अधिक प्रजाति के पौधे घर पर ही तैयार करते
1१ साल में तीस हजार पौधे लगा चुके
Published on:
10 Jun 2018 06:24 pm
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