
अमित शर्मा-
'मैं... फलां.. फलां.. शपथ लेता हूं'
प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं और नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। इस खबर के शुरुआती हिस्से के देखकर आप सोच रहे होंगे कि अभी विधायक बने नहीं, और अभी से शपथ क्यों। तो आपको बता दें विधायक के लिए चुनाव लड़ने वाले हर शख्स को नामांकन के वक्त ही संविधान के प्रति निष्ठा रखने की शपथ लेनी होती है। ये शपथ लिखित और मौखिक दोनों तौर पर ली जाती है।
शपथ के मजमून पर मुलायजा फरमाइए।
'मैं ..... जो विधानसभा (अथवा विधान परिषद) में एक स्थान को भरने के लिए अभ्यर्थी के रूप में नाम निर्देशित हुआ हूं, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्य निष्ठापूर्वक प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा यथा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा और मैं भारत की संप्रभुता और अखण्डता को अक्षुण्ण रखूंगा।'
विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन भरने वाले उम्मीदवार को जो नामांकन पत्र भरना होता है उसके अंतिम पृष्ठ पर ये शपथ / प्रतिज्ञान का फार्म होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 173 (क) के तहत ये शपथ पत्र भरा जाना अनिवार्य है। नामांकन की प्रक्रिया करवा रहे पीठासीन अधिकारी (प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट) अभ्यर्थी से ये शपथ मौखिक तौर पर भी दिलवाते हैं। शपथ की ये प्रक्रिया नामांकन की अंतिम प्रक्रिया है. विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार अभ्यर्थी नामांकन के लिए तय तारीखों में से किसी एक दिन अपने विधानसभा क्षेत्र के नियत नामांकन कार्यलय पहुंचकर नामांकन की प्रक्रिया पूरी करता है।
इसके लिए नामांकन पत्र भरना होता है। 27 पेज का नामांकन पत्र पहले से भरकर ही लाया जाता है।इसके अलावा अभ्यर्थी एफिडेविट फाइल करता है जिसमें उसकी और परिवार की चल अचल संपत्ति का ब्यौरा भी होता है। अगर उम्मीदवार किसी पार्टी के टिकट पर लड़ रहा है तो उसका सिंबल ( पार्टी की ओर से अमुक विधासभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का अधिकृत पत्र, जिसे आप हम टिकट मिलना कहते हैं) भी साथ लगाना होता है। पीठासीन अधिकारी के कक्ष में घुसते ही सबसे पहला काम फार्म के साथ जमा होने वाली फीस जमा कराना होता है। सामन्य वर्ग के लिए दस हजार और आरक्षित वर्ग के लिए यह पांच हजार है।
प्राय नोमिनेशन फार्म एक से ज्यादा सैट में भरे जाते हैं। कारण ये कि फार्म में कोई गलती होने पर वो रिजेक्ट न हो जाए। अधिकतम 4 सैट में नॉमिनेशन फॉर्म भरे जा सकते हैं। प्राय पार्टी के उम्मीदवार 4-4 सैट में ही नामांकन करते हैं। नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने, शपथ होने के बाद इस नॉमिनेशन फॉर्म की प्रति कार्यालय के बाहर भी टांग दी जाती है ताकि आम जनता उसमें भरी जानकारी देख सके। नामांकन की अंतिम तारीख के बाद फार्म वापस लेने की मियाद रहती है। उसके बाद इन नमांकन पत्रों की जांच होती है। अपूर्ण व आपत्ति वाले फॉर्म रिजेक्ट होने के बाद फानल लिस्ट तैयार होती है और अमुक विधानसभा क्षेत्र से कुल कितने उम्मीदवार है, उनकी सूची निर्वाचन विभाग जारी करता है।
Published on:
17 Nov 2018 10:25 am
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