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इस लत ने महिलाओं की जिंदगी को बनाया जहन्नम, दर्जनों परिवार टूटने की कगार पर, आपबीती सुन आपकी भी भर आएंगी आंखें…

नशाखोर युवा वक्त से पहले तो उनकी पत्नियां तिल-तिल मरने को मजबूर ट्रांसपोर्ट नगर और आमागढ़ इलाके में नशे के खिलाफ काम कर रहे समाजसेवी अफजल खान ने बताया कि केवल आमागढ़ इलाके में ही एक दर्जन से अधिक मामले ऐसे हैं कि महिलाएं नशाखोर पतियों की यातनाओं से परेशान होकर अपने बच्चों समेत मायके बैठी हुई हैं।

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जयपुर

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Abdul Bari

Oct 21, 2022

नशे ने महिलाओं की जिंदगी को बनाया जहन्नम, दर्जनों परिवार टूटने की कगार पर, आपबीती सुन आपकी भी भर आएंगी आंखें...

नशे ने महिलाओं की जिंदगी को बनाया जहन्नम, दर्जनों परिवार टूटने की कगार पर, आपबीती सुन आपकी भी भर आएंगी आंखें...

अब्दुल बारी/जयपुर. शहर के युवाओं में नशाखोरी लगातार बढ़ती जा रही है। गरीब और अशिक्षित इलाकों में नशे का व्यापार चरम पर है। पत्रिका ने नशे से प्रभवित इलाकों के हालात जाने तो कई चौकाने वाले मामले सामने आए। नशा लेने वाले युवा जवानी में ही दुनिया को अलविदा कह रहे हैं। वहीं उनकी पत्नी और परिवार तिल-तिल कर मरने को मजबूर हैं।

नशे ने बनाया अपराधी, सिर्फ 25 साल की उम्र में हुआ दर्दनाक अंत
सूरजपोल इलाके में रहने वाला साहिल 25 (परिवर्तित नाम) की पिछले दिनों दर्दनाक मौत हुई। पिछले पांच साल से गांजा, स्मेक समेत इंजेशन से विभिन्न प्रकार के नशे लेता था। पैसे न होने पर इलाके में ही चोरी और चैन स्नेचिंग जैसी वारदातों को अंजाम दिया। मजदूर पिता ने कई बार नशा मुक्ति केन्द्र भी भेजा, लेकिन सफलता नहीं मिली। नशे के आदी हो चुके साहिल ने नशे के इंजेक्शनों से पहले हाथों और फिर पैरों को बर्बाद किया। अंत में वह पेट के माध्यम से इंजेक्शन लेता था।


आंसू बहाकर काटती हूं पूरा दिन, खुदा ऐसी किस्मत किसी को न दे
नाई की थड़ी इलाके में रहने वाली फरहा 24 ( बदला हुआ नाम ) ने बताया कि पांच साल पहले चार दरवाजा इलाके में मेरा निकाह हुआ। शादी के पहले हफ्ते में ही ससुराल वालों ने कहा कि तुझे पति की बुराईयां छुड़वानी हैं। अगले दिन पति को नशे में देखा तो पैरों तले जमीन खिसक गई। कुछ समय बाद पति ने कमाना छोड़ दिया, शिकायत करो तो हाथ उठाते। अब दोनों बच्चों को लेकर मायके रह रही हूं। आंसू बहाकर पूरा दिन काटती हूं। खुदा ऐसी किस्मत किसी को न दे।

(ये दो मामले तो सिर्फ उदाहरण हैं, शहर में ऐसे दर्जनों मामले हैं।)


महिलाएं मायके बैठी हैं, कोई सुध लेने वाला नहीं
ट्रांसपोर्ट नगर और आमागढ़ इलाके में नशे के खिलाफ काम कर रहे समाजसेवी अफजल खान ने बताया कि केवल आमागढ़ इलाके में ही एक दर्जन से अधिक मामले ऐसे हैं कि महिलाएं नशाखोर पतियों की यातनाओं से परेशान होकर अपने बच्चों समेत मायके बैठी हुई हैं। ज्यादातर महिलाएं अशिक्षित होने की वजह से रोजगार से भी महरूम हैं। इन महिलाओं की कोई सुध लेने वाला नहीं है। शहर के कब्रिस्तानों को नशेड़ियों ने अड्डा बना लिया है।


इन इलाकों में नशाखोरी चरम पर

जवाहर नगर (कच्ची बस्ती)

टीपी नगर, आमागढ़

सूरजपोल

रामगंज

ईदगाह

बांस की पुलिया

चुंगी

खोर

नाई की थड़ी।