
जयपुर/बहरोड़. क्षेत्र के किसान परंपरागत खेती की बढ़ती लागत और कम मुनाफे से परेशान होकर आधुनिक तकनीक का सहारा ले रहे हैं। कई किसानों ने अपने खेतों में पॉली हाउस लगाकर सब्जियों की खेती शुरू की है। इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। क्षेत्र के कई किसान परंपरागत खेती में बढ़ती उम्र व लागत कम लगाकर मुनाफे तथा अच्छी पैदावार के कारण आधुनिक तकनीक से खेती कर मोटा मुनाफा कमा रहे है। कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में कई गांवो में पानी की कमी के कारण किसानों के लिए परंपरागत खेती करना अब नुकसान का कारण बन रही है। ऐसे में कई किसानों ने परंपरागत खेती के कारण हो रहे आर्थिक नुकसान को देखते हुए आधुनिक तकनीक की ओर रुख किया व आज लाखों रुपए की आमदनी के साथ ही पानी की भी बचत कर रहे है।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार क्षेत्र के कई गांवों में पानी की कमी के कारण परंपरागत खेती करना किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। ऐसे में किसानों ने आधुनिक तकनीक को अपनाकर लाखों रुपए की कमाई के साथ-साथ पानी की भी बचत की है।
पॉली हाउस में विभिन्न तरह की आधुनिक खेती कर जैविक सब्जी उत्पादन कर रहे डॉ. योगेश आत्रेय ने बताया कि पॉली हाउस में फसलों को कम पानी की जरूरत होती है। यहां उगाई जाने वाली फसलों में रोग और कीट कम लगते हैं। दवाओं का छिडक़ाव करना आसान होता है। किसान पॉली हाउस में साल में दो बार सब्जियों की फसल उगा सकते हैं। जनवरी और जुलाई में बुवाई करने से उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है। जनवरी में बुवाई करने से गर्मी के मौसम में उत्पादन शुरू हो जाता है, जब सब्जियों के दाम अच्छे मिलते हैं।पॉली हाउस में उगी फसलों में पानी की कम जरूरत पड़ती है। इसके साथ ही यहां पर उगाई गई फसलों में रोग-कीट भी कम लगते है तथा दवाओं का छिडक़ाव करने में आसानी रहती है।
किसान सरकारी अनुदान पर पॉली हाउस लगाकर सब्जियों की खेती कर रहे हैं और सालाना लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। पॉली हाउस में सब्जियों की सिंचाई के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। किसान पॉली हाउस के पास ही कच्ची डिग्गी बनाकर बरसात का पानी इक_ा करते हैं और ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करते हैं।
क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान आधुनिक तकनीक से खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। कई किसानों ने तो खेतों में पॉली हाउस तक लगवा रखे है। इनसे वे साल में दो बार सब्जियों की फसल उगाकर मोटा मुनाफा ले रहे है।-राकेश कुमार, सहायक निदेशक कृषि विस्तार बहरोड़
Updated on:
17 Apr 2025 12:40 pm
Published on:
17 Apr 2025 12:39 pm
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