
जयपुर. PhD Admission 2023: नरेश कुमार ने राजस्थान विश्वविद्यालय से एमफिल की। एमफिल के बाद 11 माह इंतजार किया। लेकिन यूनिवर्सिटी ने शोध प्रवेश परीक्षा नहीं कराई। मजबूरन नरेश को निजी विश्वविद्यालय में एडमिशन लेना पड़ा। निजी विवि में पीएचडी के पांच लाख खर्च करने होंगे। अगर राजस्थान विश्वविद्यालय में पीएचडी होती वह करीब पचास हजार में ही हो जाती। यह किसी एक नहीं बल्कि कई छात्रों की पीड़ा है। राजस्थान विश्वविद्यालय में शोध प्रवेश परीक्षा को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। परीक्षा यूजीसी के कौन से रेगुलेशन से होगी, इस पर असमंजस है। नियमों के फेर में पिछले दो सत्रों की प्रवेश परीक्षा अटकी हुई है।
यह हो रहा नुकसान
- विवि में शोध की संख्या कम हो रही है, ऐसे में ग्रांट पर असर पड़ेगा।
- नेक की ग्रेड और शोध की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
- जिन छात्रों की जेआरएफ हो चुकी, उनका पीएचडी में प्रवेश जरूरी है। दो साल से अधिक समय में प्रवेश नहीं होने पर यह लैप्स हो जाएगी।
- शिक्षकों के रिटायरमेंट के कारण पीएचडी की करीब 100 सीटें कम हो जाएंगी।
सिंडिकेट की बैठक में शोध प्रवेश परीक्षा पर निर्णय होगा। इसके बाद ही परीक्षा होगी। यह सही है कि इसका नुकसान छात्रों को हो रहा है।
रश्मि जैन, कन्वीनर, शोध प्रवेश परीक्षा
हाल ही यूजीसी की ओर से रेगुलेशन 2022 लागू किया गया है। इसके बाद यूनिवर्सिटी के रिसर्च बोर्ड ने नए प्रावधानों के अनुसार शोध प्रवेश परीक्षा कराने का निर्णय किया। एकेडमिक कौंसिल ने भी प्रस्ताव सिंडिकेट को भेज दिया। लेकिन आपत्तियां आने के बाद सिंडिकेट ने इसे पास नहीं किया और फिर एकेडमिक कौंसिल में भिजवाया है। ऐसे में रेगुलेशन के पेंच में अब शोध परीक्षा फंस गई है। अब सिंडिकेट बैठक में वापस निर्णय लिया जाएगा। लेकिन अभी तक बैठक नहीं हो पाई। इससे पहले यूनिवर्सिटी में 2019-20 की परीक्षा 2021 में यूजीसी रेगुलेशन 2017 के तहत हुई थी। इसके बाद 2021-22 और 2022-23 की परीक्षा नहीं हुई है।
Published on:
14 Apr 2023 11:32 am
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