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एमपी बॉर्डर पर रोके चारे के ट्रक, राजस्थान में बढ़ी किल्लत, जानें कारण

नई फसल का इंतजार कर रहे पशुपालकों के लिए कोई राहत की खबर नहीं है। आसमान छू रहे चारे के भाव नीचे आने की बजाय एक हजार से ग्यारह सौ रुपए प्रति क्विंटल पर ही अटक गए हैं।

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मनोज शर्मा/जयपुर। नई फसल का इंतजार कर रहे पशुपालकों के लिए कोई राहत की खबर नहीं है। आसमान छू रहे चारे के भाव नीचे आने की बजाय एक हजार से ग्यारह सौ रुपए प्रति क्विंटल पर ही अटक गए हैं। चारे की कालाबाजारी के बीच पड़ोसी राज्यों ने मुसीबत और बढ़ा दी है। राजस्थान में चारे की आवक पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है, इससे चारे की कीमतें अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने तो बॉर्डर पर पुलिस नाके लगा दिए जो चार के ट्रकों को आगे नहीं बढऩे दे रहे। वहीं पंजाब में चारा माफिया सक्रिय हो गया, जो किसानों से चारा खरीद कर स्टॉक करने में जुटा है।

चारे की यह किल्लत करीब एक वर्ष से मची हुई है। गत वर्ष गेहूं की उपज के बाद चारे के भाव 650 से 700 रुपए क्विंटल थे। देखते ही देखते ये भाव 1050 से 1100 तक पर पहुंच गए। कई माह से पशुपालक नई फसल के इंतजार में थे, ताकि भावों में कमी आए। नई फसल आई, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप भावों में कमी नहीं आई।

एमपी सरकार ने बॉर्डर पर लगाई पुलिस
प्रदेश में चारे की किल्लत बढ़ती देख सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार ने नकारात्मक कदम उठाए। राजस्थान में एमपी के नहरी क्षेत्र से चारे की भारी आवक होती है। इस बार मध्यप्रदेश सरकार ने इस आवक पर रोक लगा दी। स्थिति यह है कि एमपी बॉर्डर पर राजस्थान आने वाले ट्रकों को पुलिस फोर्स लगाकर रोका जा रहा है। मध्यप्रदेश के राजगढ़ ब्यावरा कलक्टर ने इसके लिए बाकायदा आदेश जारी किए हैं। उनका कहना है कि भविष्य में यहां चारे की कोई किल्लत नहीं हो, इसलिए यहां से अन्य राज्यों में चारे की सप्लाई नहीं की जाएगी।

पंजाब में किसानों ने किया स्टॉक
मध्यप्रदेश सरकार के कदम को देखते हुए पंजाब में चारा माफिया सक्रिय हो गया। किसानों से चारा खरीदा जा रहा है, लेकिन उसे बाजार में बेचा नहीं जा रहा। चारा स्टॉक किया जा रहा है। उनका कहना है कि गत वर्ष सर्दियों में चारे के दामों में जोरदार बढ़ोतरी हुई थी, इसके चलते इस बार सस्ते दामों में नहीं बेचेंगे। ऐसे में पंजाब से भी चारे के ट्रक आना बंद हो गए हैं। अब ुप्रदेश की उपज ही एक मात्र विकल्प रहा है। आवक कम होने से लगातार भाव बढ़ते जा रहे हैं।

‘एंट्री’ की वसूली पड़ रही भारी
चारा सप्लायर का कहना है कि नाकों पर पुलिस और आरटीओ दस्ते एंट्री फीस लेते हैं, इसका भार भी परोक्ष रूप से पशुपालकों पर पड़ता है। सप्लायर एंट्री जोड़कर ही भुगतान लेते हैं। इन लोगों की कहीं सुनवाई भी नहीं होती।