
जयपुर। खाद्य सुरक्षा योजना से अपात्रों का नाम हटाने के लिए चलाए जा रहे गिवअप अभियान में खाद्य विभाग के अफसरों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। विभाग के अधिकारी वर्ष 2012 से अब तक करीब 1500 करोड़ रुपए का गेहूं ले चुके अपात्रों से वसूली को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
वहीं योजना के पात्र लाभार्थियों से शपथ पत्र मांगा जा रहा है। इसमें लिखा है कि अगर जांच में वे अपात्र पाए गए तो 27 रुपए किलो के हिसाब से उनसे वसूली की जाए। ऐसे में पात्र लाभार्थियों में खलबली मची हुई है। वे शपथ पत्र लेकर इसे भरवाने के लिए भटक रहे हैं।
विभाग के अफसर गिवअप अभियान के तहत 20 लाख अपात्रों के नाम हटाने की वाहवाही लूट रहे हैं, लेकिन ये अपात्र वर्ष 2012 से अब तक गेहूं के बाजार भाव के हिसाब से 1500 करोड़ का गेहूं उठा चुके हैं। इस बड़ी रकम की वसूली को लेकर सरकार और विभाग दोनों चुप हैं। जबकि केंद्र सरकार बार-बार विभाग को कह रही है कि अपात्रों से वसूली की जाए।
4.36 करोड़ लाभार्थी प्रदेश में
27 हजार राशन की दुकानें प्रदेश में
20 लाख अपात्र लाभार्थियों के नाम हटाने का दावा राज्य में
27 लाख 37 हजार 477 लाभार्थी हैं जयपुर जिले में
पत्रिका संवाददाता शनिवार सुबह जवाहर नगर में एक राशन की दुकान पर पहुंचा। वहां लाभार्थियों की कतार लगी हुई थी। कुछ महिला लाभार्थियों के हाथ में शपथ पत्र था। डीलर उनको बार-बार एक ही बात कह रहा था कि शपथ पत्र भर कर दो। इस पर कुछ महिला लाभार्थियों ने कहा कि उन्हें सिर्फ अक्षर ज्ञान है, आप इसे भर दो। डीलर ने कहा कि मुझे सबको गेहूं देना है और इसे कल किसी से भरवा कर ले आना। वहीं कई महिला लाभार्थी थककर दुकान के पास ही बैठ गईं।
एक महिला लाभार्थी ने कहा कि हम 10 साल से राशन का गेहूं ले रहे हैं और कई बार जांच हो चुकी है। पात्र होने पर ही हमें गेहूं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब हम शपथ पत्र क्यों दें, जबकि अपात्र तो अब भी राशन का गेहूं उठा रहे हैं। वहीं एक बुजुर्ग लाभार्थी ने कहा कि इस शपथ पत्र को किससे भरवाएं। इसे भरवाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।
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Published on:
04 May 2025 09:05 am
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