
कानाराम मुण्डियार
जयपुर। दो दशक से अधिक समय से सतही जल से भरने का इंतजार कर रहे जयपुर के रामगढ़ बांध को अब कृत्रिम बरसात (क्लाउड सीडिंग) से भरने की तैयारी की जा रही है। उम्मीद है कि बांध क्षेत्र में अगस्त माह में हमें कृत्रिम बरसात का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। इस प्रयोग को सफल करने के लिए कृषि विभाग ने अमरीकी कम्पनी को जिम्मा सौंपा है। अमरीकी कम्पनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक जयपुर पहुंचकर इसकी तैयारी कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, हजारों फीट ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाकर बादलों में सोडियम क्लोराइड डाला जाएगा, जिससे बादल बरसात बनकर बरसेंगे। संभवत: देश में पहली बार कृत्रिम बरसात में ड्रोन व एआई तकनीक का इस्तेमाल होगा। कम्पनी ने ताइवान से ड्रोन मंगवाया है। देश में इससे पहले की कृत्रिम बरसात में हवाई जहाजों का इस्तेमाल होता रहा है।
जयपुर के रामगढ़ बांध में कृत्रिम बरसात की पूर्व तैयारी के लिए जयपुर जिला प्रशासन की अगुवाई में जल संसाधन विभाग, मौसम विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ अमरीकी कम्पनी के अधिकारियों की बैठक हो चुकी है। नई दिल्ली से डॉयरेक्टर जनरल सिविल एविएशन से अप्रुवल अभी शेष है। डीजीसीए से अप्रुवल मिलने के साथ ही अन्य विभागों की तरफ से अन्य आवश्यक तैयारियों को अन्तिम रूप दिया जाएगा।
रामगढ़ बांध को बचाने व पानी से भरने को लेकर राजस्थान पत्रिका पिछले कई सालों से मुहिम चला रहा है। इस साल 5 जून को पत्रिका के अमृतम-जलम अभियान के साथ मिलकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सरकार के वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान का आगाज रामगढ़ बांध से ही किया था। इसलिए सरकार इस बांध को भरा देखने के लिए सभी तरह के प्रयास कर रही है। इस कवायद में सरकार ने कृत्रिम बरसात के लिए रामगढ़ बांध को ही चुना।
यह एक वैज्ञानिक तरीका है, जिसके तहत कृत्रिम बरसात करवाकर मौसम में बदलाव लाया जाता है। विमानों को बादलों के बीच में से गुजारा जाता है और विमानों से सोडियम क्लोराइड, सिल्वर आयोडाइड, र्ड्राइ आइस व क्लोराइड छोड़ा जाता है। इससे बादलों में पानी की बूंदें जम जाती है और फिर बरसात होती है। लेकिन यह तभी संभव होता है, जब वायुमंडल में बादल बने हुए हो और हवा में नमी हो।
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने कृत्रिम बरसात के लिए जून के दूसरे पखवाड़े में अमरीकी कम्पनी के साथ बैठक की थी। प्रयोग सफल रहा तो कई दिनों तक क्रत्रिम बरसात करवाकर बांध को भरा जाएगा। एक माह तक कृत्रिम बरसात का पूरा डेटा रिकॉर्ड किया जाएगा।
भारत में हवाई जहाजों के जरिए क्लाउड सीडिंग का प्रयोग नया नहीं है। देश में पहली बार क्लाउड सीडिंग 1951 में टाटा फर्म की ओर से केरल के पश्चिमी घाट पर करवाई गई थी। पिछले सालों में धुंध व वायुप्रदूषण के प्रभाव को कम कराने के लिए महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक व दिल्ली राज्य में क्लाउड सीडिंग करवाई जा चुकी है।
Updated on:
21 Jul 2025 11:50 am
Published on:
21 Jul 2025 08:53 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
