
सरकार भले ही वन एवं वन्य जीव संरक्षण को लेकर बडे़- बडे़ दावे कर रही है, लेकिन धरातल पर हालात उलट हैं। कारण कि वन मंडलों में साधन-संसाधनों का अभाव है। जिसके चलते वन कर्मियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वन कर्मियों के लिए पेड़ों की अवैध कटाई और लकड़ी परिवहन, अतिक्रमण और शिकार आदि को रोकना चुनौती साबित हो रहा है। राजधानी के आस-पास की वन चौकियों पर गाड़ियां ही नहीं हैं। ऐसे में स्टाफ को वन में हो रही अवैध गतिविधियां को रोकने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि वनों में अवैध गतिविधियों को लेकर सालभर में 100 से ज्यादा एफआइआर दर्ज हो जाती है। फिर भी अनदेखी हो रही है। ऐसे ही हालात पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में भी सामने आ रहे हैं। कई जगह आवश्यकता पड़ने पर दूसरी रेंज से गाड़ियां मांगकर या किराए पर लेकर काम चलाया जा रहा है।
वन कर्मियों को जान का भी खतरा
वन अधिकारियों के अनुसार शिकारी हाइटैक हो गए हैं। तकनीक युक्त हथियार और महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन कई मंडलों के पास साधन-संसाधन नहीं हैं। वन कर्मियों को जान का भी खतरा रहता है।
पुलिस थाने की बैरक में रखने को मजबूर
वन विभाग शिकारियों पर कार्रवाई कर पीठ थपथपा लेता है। लेकिन, वन मंडलों में आरोपी को रखने के लिए बैरक तक नहीं है। कई बार आरोपियों के भागने के मामले भी सामने आए हैं। मजबूरन आरोपियों को पुलिस थाने की बैरक में रखना पड़ता है।
ट्रेंकुलाइज गन न रेस्क्यू किट
प्रदेश में पैंथर का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। भूख-प्यास से आबादी इलाकों में उनकी घुसपैठ भी बढ़ रही है। इसके बावजूद विभाग ने रेस्क्यू के लिए नई टीमें तैयार नहीं की हैं। कई वन मंडलों में ट्रेंकुलाइज गन, सेफ्टी किट भी नहीं हैं। इस कारण स्टाफ को काम करने में दिक्कत हो रही है और लोग जानवरों की जान भी ले रहे हैं।
Published on:
03 Mar 2024 01:04 pm
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