
फोटो- पत्रिका नेटवर्क
Giriraj Prasad Tiwari Passed Away: राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गिरिराज प्रसाद तिवारी का निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा और अंत्येष्टि शुक्रवार सुबह 11 बजे उनके पैतृक गांव विडयारी, तहसील बयाना में संपन्न होगी। उनके निधन की खबर से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्व सीएम अशोक गहलोत, सीएम भजनलाल सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर दु:ख जताया है।
बता दें, गिरिराज प्रसाद तिवारी का जन्म 20 दिसम्बर 1920 को भरतपुर जिले के बयाना उपखण्ड के विडयारी गांव में हुआ। उनके पिता का नाम हंसा राम था। स्नातक (बी.ए.) और स्नातक (एलएल.बी.) की शिक्षा पूरी करने के बाद वे राजनीति और समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। 1935 में राजनीति में कदम रखते ही उन्होंने 1939 के प्रजा मंडल आंदोलन में योगदान देकर अपने संघर्षशील व्यक्तित्व का परिचय दिया।
तिवारी का राजनीतिक सफर लम्बा और प्रभावशाली रहा। 1950 से 1953 तक वे जिला कांग्रेस कमेटी, भरतपुर के मंत्री रहे। वर्ष 1972 में वे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बयाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और पांचवीं विधानसभा में पहुंचे। इसके बाद 1985 में उन्होंने भरतपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की और आठवीं विधानसभा के सदस्य बने।
दो बार विधायक रहने के दौरान वे विधानसभा की गृह समिति और विशेषाधिकार समिति में सदस्य रहे। 29 मार्च 1985 से 31 जनवरी 1986 तक वे राजस्थान विधानसभा के उपाध्यक्ष और उसके बाद 11 मार्च 1990 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। इस प्रकार उन्होंने बयाना और भरतपुर दोनों क्षेत्रों का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया।
राजनीति के साथ-साथ उनका झुकाव सामाजिक सरोकारों की ओर भी गहरा रहा। वे भरतपुर जिला परिषद के प्रमुख एवं प्रशासक रहे। 1968 में श्री गांधी सेवा सदन, बयाना के अध्यक्ष बने। इसके अतिरिक्त सनातन धर्म विद्यालय, भरतपुर की कार्यकारिणी में उनकी अहम भूमिका रही और वे जिला पत्रकार संघ, भरतपुर के संयोजक भी रहे।
गिरिराज प्रसाद तिवारी समाज सेवा एवं हरिजन उद्धार के कार्यों के लिए सदैव समर्पित रहे। वे साप्ताहिक ‘नवयुग संदेश’ के संपादक भी रहे। सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने एम्सटरडम, स्टॉकहोम, फ्रैंकफर्ट, जिनेवा, रोम, एथेंस, सेरियो और दुबई जैसे देशों की यात्राएँ भी कीं।
व्यक्तिगत जीवन में तिवारी जी सादगी और आधुनिकता का अद्भुत संगम थे। जहाँ वे परंपरागत भगवा वस्त्र धारण करते थे, वहीं जीन्स, टी-शर्ट और सूट पहनने के भी शौकीन थे। जर्दा पान मसाला उनके जीवन का हिस्सा रहा। उनके निधन से भरतपुर जिले और राजस्थान की राजनीति को अपूरणीय क्षति पहुँची है। वे राजनीति और समाज सेवा की उस पीढ़ी के प्रतिनिधि थे, जिसने संघर्ष और समर्पण के बल पर अपने क्षेत्र की जनता का विश्वास जीता।
Published on:
03 Oct 2025 11:40 am
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