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जयपुर। राज्य सरकार द्वारा संचालित नि:शुल्क दवा योजना में गुणवत्ता की गंभीर समस्या सामने आई है। विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी गई कि बीते एक वर्ष में योजना के तहत वितरित की गई 89 दवाओं के सैंपल जांच में फेल हो चुके हैं। इस सूची में कई महत्वपूर्ण और जीवनरक्षक दवाएं शामिल हैं, जिनका उपयोग आमजन द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किया जाता है।
फेल हुई दवाओं में मल्टीविटामिन टैबलेट, खून पतला करने की दवाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवाएं, बीपी की दवा, दर्द निवारक, नेत्र रोग की दवाएं, डायबिटीज के उपचार में उपयोग होने वाली दवाएं, पेट के कीड़े मारने की दवाएं, टिटनेस इंजेक्शन, एलर्जी, हृदय रोग और कैंसर के इलाज में दी जाने वाली दवाएं शामिल हैं। इसके अलावा, एंटीबायोटिक दवाएं, खून के बहाव को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं, इंसुलिन, बच्चों की श्वांस संबंधी बीमारियों के लिए दी जाने वाली दवाएं, एचआईवी टेस्ट किट, रेबीज की दवा और बड़ी सर्जरी के दौरान रक्त स्त्राव रोकने के लिए उपयोग में ली जाने वाली दवाएं भी इस सूची में पाई गई हैं।
यह जानकारी सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में गरीब व जरूरतमंद मरीजों को नि:शुल्क दवा योजना के तहत ये दवाएं दी जाती हैं। यदि दवाओं की गुणवत्ता खराब होती है, तो यह मरीजों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं और दोषी आपूर्तिकर्ताओं पर कार्रवाई की संभावना जताई है।
Updated on:
26 Feb 2025 11:02 am
Published on:
26 Feb 2025 11:00 am
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