जयपुर.अधिकमास में श्रीमदभागवत कथा के साथ ही प्रज्ञा पुराण कथा में शहरवासियों को राष्ट्र निर्माण के सूत्र दिए जा रहे हैं। इस कड़ी में वाटिका स्थित गायत्री शक्तिपीठ में बुधवार को संगीतमय श्रीमद् पावन प्रज्ञा पुराण कथा से कलश और सद्ग्रंथ यात्रा निकाली गई। झारखंड महादेव मंदिर से गाजेबाजे के साथ निकली कलश यात्रा में जहां 101 महिलाएं सिर पर मंगल कलश लेकर तो वहीं 125 पुरूष सिर पर सद्ग्रंथ लिए चल रहे थे। हम बदलेंगे युग बदलेगा, हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, ज्ञान यज्ञ की ज्योति चलाने हम घर-घर में जाएंगे…जैसे जयघोष कलश यात्रा में गुंजायमान हुए। कलश यात्रा के वाटिका शक्तिपीठ पहुंचने पर कलशों की आरती उतारी। वेदमाता गायत्री और गुरू सत्ता का पंचोपचार पूजन किया।
पूजा-अर्चना की तरह नियमित हो स्वाध्याय:
व्यास पीठ से सुरेश शर्मा ने प्रज्ञा पुराण कथा के श्रवण का महात्म्य बताया। उन्होंने कहा कि सद्ग्रंथों में व्यक्ति से लेकर देश-दुनिया की समस्याओं के समाधान छिपे है। ग्रंथ पुस्तकालयों में नहीं घरों में रखे जाने चाहिए। भगवान की पूजा-अर्चना की तरह नियमित रूप से श्रेष्ठ साहित्य का स्वाध्याय किया जाना चाहिए। सद्गं्रथ भगवान की जीवंत प्रतिमा है जिनकी उपासना से तत्काल प्रकाश मिलता है। समय दोपहर सवा बारह से शाम चार बजे तक है।
जीवात्मा से परमात्मा का संबंध जोड़ने वाले मार्ग संत व सत्संग
जयपुर. महेश नगर जगदीश कॉलोनी स्थित तत्कालेश्वर महादेव राम मंदिर में आयोजित भागवत कथा में कथावाचक पं. शिवचरण शास्त्री ने सुदामा चरित्र के प्रसंगों का बखान किया। रुकमणि विवाह भी हुआ। इस मौके पर मनमोहक झांकियां सजाई। सुदामा चरित्र पर गरीबी और दरिद्रता का अर्थ बताया। जीवन में सच्ची मित्रता कितनी काम देती है, यह शिक्षा दी। हमें जीवन में अवश्य ही आगे बढ़ने के लिए भगवान कृष्ण के बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए भगवान कृष्ण के जन्म का प्रसंग सुनाया। शिवचरण पाराशर ने बताया कि कार्यक्रम में आसपास के स्थानीय लोगों ने कथा का श्रवण किया।