
ghanshyam tiwari
जयपुर।
जनसंघ और भाजपा के दिग्गज रहे स्व. भैरोंसिंह शेखावत से राजनीति के गुर सीखने वाले घनश्याम तिवाडी को राजस्थान की राजनीति में बड़ा खिलाड़ी कहा जाता है। विधानसभा हो या आम राजनीति, किस मुद्दे को कैसे घेरा जाए तिवाड़ी बखूबी जानते हैं। पिछले पांच सालों से यह कला वो अपनी पार्टी के नेताओं के बीच भी दिखा रहे हैं। लगातार पार्टी के प्रदेश नेतृत्व पर निशाना साधने नए पार्टी के गठन का एलान करके प्रदेश भाजपा नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी वे भाजपा में बने रहे हैं।
अब बीवीपी यानी भारत वाहिनी पार्टी का गठन करके भी तिवाड़ी ने कुछ ऐसा ही किया है। पार्टी की पूरी कवायद खुद तिवाड़ी की है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अपने पुत्र अखिलेश तिवाड़ी को बनाया है। ऐसा कर के वे न केवल वे पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे से खुद को बाहर रखने में सफल हो गए बल्कि नई पार्टी के अपने गठन के कॉल को भी पूरा कर लिया।
भाजपा के संविधान में वर्णित नियमानुसार यदि तिवाड़ी खुद पार्टी का गठन करे या फिर खुद इसमें शामिल होते तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती लेकिन फिलहाल वो इन सभी नियमों से दूर हैं। ऐसा नहीं कि इस तरह का मामला पहली बार हुआ है। इससे पहले भी ऐसा भी हो चुका है।
राजनीति में ऐसे कई उदाहरण है जिसमें सगे रिश्तेदार अलग-अलग पार्टियों में हैं। जैसे पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा कांग्रेस में है उनके भाई हरीश मीणा भाजपा से सांसद हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के दिग्गज नेता रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने बाड़मेर लोकसभा चुनाव से पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ा था वहीं उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह भाजपा से विधायक है।
इनका कहना है
पार्टी उनके बेटे की है। इस लिए नियमानुसार तिवाड़ी पर पार्टी को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला नहीं बनता।
मदनलाल सैनी ,सदस्य अनुशासन समिति
Published on:
03 Apr 2018 01:26 pm
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