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Rising Rajasthan: इन जिलों में प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने से खुलेगी रोजगार की राह, बढ़ेगी पैदावार; होगा मुनाफा

Global Investment Summit 2024: राइजिंग राजस्थान के दौरान इन जिलों में प्रसंस्करण यूनिट स्थापित होने की राह प्रशस्त हो तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सकते हैं।

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जयपुर

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Alfiya Khan

Dec 09, 2024

rising rajasthan

file photo

जयपुर। राज्य के टोंक, जोधपुर, बाड़मेर, झालावाड़ और भीलवाड़ा जिलों के स्थानीय उत्पादों के आधार पर उद्योगों के विकास की प्रचुर संभावनाएं हैं। राइजिंग राजस्थान के दौरान इन जिलों में प्रसंस्करण यूनिट स्थापित होने की राह प्रशस्त हो तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सकते हैं।

भीलवाड़ा- मक्का हब बनने की राह खुले

भीलवाड़ा और शाहपुरा जिला मक्का उत्पादन में अव्वल हैं, प्रोसेसिंग इकाइयां नहीं होने से मक्का को राज्य से बाहर भेजना पड़ता है। भीलवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा हाईब्रिड मक्का का उत्पादन होता है। यहां फूड प्रोसेसिंग यूनिट के साथ इथेनॉल प्लांट की जरूरत है। इससे चित्तौड़गढ़ और शाहपुरा जिले को भी लाभ मिलेगा। खाड़ी देशों में भीलवाड़ा की मक्का के उत्पादों की मांग है। अभी यहां का मक्का गुजरात के गांधीधाम से पैक होकर खाड़ी देशों और कनाडा जा रहा है।

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झालावाड़- सोयाबीन पैदावार, उत्पाद को प्लांट की जरूरत

झालावाड़ जिले में हर साल करीब 20 हजार मीट्रिक टन सोयाबीन का उत्पादन होता है। इसके बाद भी झालावाड़ में इसके प्रोसेसिंग प्लांट नहीं होने से इसके उत्पाद यहां तैयार नहीं हो पाते हैं। सोया मिल्क, सोया पनीर, सोया आटा और सोया तेल की यूनिट लग जाए तो यहां रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इससे जिले की समृद्धि बढ़ेगी।

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ईसबगोल बाड़मेर पैदा करता, लाभ गुजरात ले रहा

बाड़मेर के किसान हर साल करीब 10 लाख क्विंटल ईसबगोल पैदा करते हैं, लेकिन खेत से निकलते ही यह गुजरात की ऊंझा मंडी में पहुंच जाता है। ऐसे में गुजरात को इसका लाभ मिल रहा है। बाड़मेर में इसकी प्रोसेसिंग यूनिट लग जाए तो राज्य को इसका लाभ मिलेगा। बाड़मेर इसे विदेश में निर्यात करने की क्षमता विकसित कर सकता है।

टोंक- सालाना 6 हजार करोड़ का उत्पादन

देश में सरसों पैदावार में राजस्थान की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है और टोंक जिला तीसरे नम्बर पर है। टोंक जिला सालाना करीब 6 हजार करोड़ के तेल का निर्यात कर रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार सरसों पर लगने वाले टैक्स को हटा दें तो लोगों को सस्ती दर पर खाद्य तेल मिल सकता है। अभी तक राजस्थान को सरसों उत्पादक राज्य का दर्जा तक नहीं मिल पाया है। गुणवत्ता के चलते टोंक के सरसों तेल की मांग पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में है।

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