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Good News: राजस्थान में भी उगेगी छिलका रहित जौ की फसल, 4 नई किस्म होंगी तैयार, जानिए किसानों को इससे क्या लाभ होगा

वैज्ञानिकों की मानें तो राजस्थान में छिलका रहित जौ की यह पहली किस्म होगी। अभी यह छिलका रहित जौ की फसल हिमाचल, उत्तराखंड व कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में होती है।

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छिलका रहित जौ

Photo- Patrika

जयपुर। शहर के वैज्ञानिकों ने छिलका रहित जौ की तीन नई किस्म तैयार की है, जो राष्ट्रीय स्तर के परीक्षण के अंतिम पायदान पर है। यह परीक्षण अगले रबी सीजन 2025-26 में किया जाएगा। इस परीक्षण में सफल होने के बाद इसे राष्ट्रीय किस्म चयन समिति में अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। इसके साथ ही कांटेदार रेशे (ऑन्स) रहित बाली वाले जौ की किस्म को भी रास्ट्रीय स्तर के प्रारंभिक परीक्षण के लिए शामिल कर लिया गया है।

दुर्गापुरा स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने जौ की चार नई किस्म तैयार की है। इसमें तीन किस्म छिलका रहित जौ की है, जिसमें आरडी-3088, 3089, 3090 शामिल है। इस किस्म की पैदावार 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वैज्ञानिक इस पर पिछले 7-8 साल से अनुसंधान कर रहे हैं। इसकी पैदावार होने पर इसके दाम भी अच्छे मिलेंगे।

इन पर खरी उतरना जरूरी

देश में पहले से मौजूद किस्म की तुलना में 5 से 10 प्रतिशत अधिक उपज देने, कीट व बीमारियों के लिए प्रतिरोधक होने के साथ गुणवत्ता जांच में उत्तम पाई जाने पर ही राष्ट्रीय किस्म चयन समिति में अनुमोदन होगा। हालांकि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म हर पैरामीटर पर खरी उतरेगी।

प्रदेश में पहली किस्म…

वैज्ञानिकों की मानें तो राजस्थान में छिलका रहित जौ की यह पहली किस्म होगी। अभी यह छिलका रहित जौ की फसल हिमाचल, उत्तराखंड व कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में होती है।

ऑन्स रहित बाली वाले जौ की किस्म का भी चयन…

कांटेदार रेशे (ऑन्स) रहित बाली वाले जौ की किस्म को भी रास्ट्रीय स्तर के प्रारंभिक परीक्षण के लिए शामिल कर लिया गया है। वैज्ञानिक वर्ष 2023'24 और 2024-25 में इसका स्थानीय परीक्षण कर चुके हैं। अब इसे अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान परियोजना संस्थान ने इसे शामिल कर लिया है। अब इसका तीन साल परीक्षण होगा, तीन साल के परीक्षण के परिणाम के आधार पर इसका आगे के लिए चयन होगा।

चारे की समस्या होगी खत्म

अभी प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर में जौ की खेती होती है, लेकिन ऑन्स के चलते जौ का चारा पशु नहीं खा पाते हैं। इसलिए प्रदेश में हरियाणा व पंजाब से चारा आता है। ऑन्स रहित बाली वाले जौ की किस्म तैयार होने के बाद प्रदेश में चारे की समस्या नहीं होगी।

छिलका रहित जौ की नई किस्म अंतिम परीक्षण में है। अनुमोदन होने के बाद अगले साल तक इस किस्म के बीज किसानों को मिलने लग जाएंगे। ऑन्स रहित बाली वाले जौ की किस्म का भी चयन हो गया है।


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