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जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा, गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना की हुई शुरुआत

- पांच गोवंश की अनिवार्यता से गोवंश को मिलेगा संरक्षण - जिले की 6 पंचायत समितियां में कुल 300 किसान होंगे लाभान्वित, 10000 तक मिलेगा अनुदान

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जयपुर

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MOHIT SHARMA

Nov 13, 2024

कोटपूतली-बहरोड. राज्य सरकार की ओर से जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत गोवंश के गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। खेतों में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाने पर किसानों को लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 10 हजार रुपए तक अनुदान का लाभ मिलेगा।
जिले की 6 पंचायत समितियों में कुल 300 किसानों को इस योजना से जोडऩे का लक्ष्य है, जिसके तहत प्रत्येक पंचायत समिति से 50 किसानों का चयन किया जाएगा। योजना में शामिल होने के लिए किसानों को राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके अलावा ई-मित्र के माध्यम से आवेदन प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।

योजना का उद्देश्य
संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) महेन्द्र जैन ने बताया कि गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना का मुख्य उद्देश्य रासायनिक खादों से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करते हुए मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना, जैविक खेती को बढ़ावा देना और किसानों को पशुओं के कचरे से जैविक खाद उत्पादन के लिए प्रेरित करना है। इससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

पात्रता और शर्तें
इस योजना का लाभ केवल राजस्थान के स्थायी निवासियों को मिलेगा, जिनके पास कम से कम पांच गोवंश होंगे। किसानों को अपने खेत में 20 फीट लंबी, तीन फीट चौड़ी और ढाई फीट गहरी वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनानी होगी। हर यूनिट में 8 से 10 किलों केंचुए छोडऩे की व्यवस्था किसानों को स्वयं करनी होगी।
राज्य के 378 ब्लॉक में 18,900 किसान इस योजना से लाभान्वित होंगे जिनमें 12,627 सामान्य श्रेणी के, 3,202 अनुसूचित जाति के और 3,071 अनुसूचित जनजाति के किसान शामिल हैं। योजना के तहत जिले के लिए 30 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।

उपजाऊपन में वृद्धि होगी
सरकार का यह प्रयास किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करेगा। इससे न केवल उपजाऊपन में वृद्धि होगी, बल्कि लंबे समय में पर्यावरणीय संतुलन भी स्थापित हो सकेगा। साथ ही योजना के लाभ के लिए पांच गोवंश की अनिवार्यता से गो-पालन व गो-संरक्षण में वृद्धि होगी।