5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नौकरी पेशा महिलाओं को बड़ी राहत, सरकारी दफ्तर में बना ’बच्चों का घर’

Rajasthan News : सरकारी दफ्तर में ’बच्चों का घर’ नौकरीपेशा महिलाओं को राहत दे रहा है। महिलाएं जहां काम कर रही हैं, वहीं उनके बच्चों की क्रेच (शिशु पालना गृह) में देखभाल हो रही है।

2 min read
Google source verification
children__home.jpg

Jaipur News : सरकारी दफ्तर में ’बच्चों का घर’ नौकरीपेशा महिलाओं को राहत दे रहा है। महिलाएं जहां काम कर रही हैं, वहीं उनके बच्चों की क्रेच (शिशु पालना गृह) में देखभाल हो रही है। राजधानी में दिनों-दिन इसकी डिमांड बढ़ रही है। यही वजह है कि अब शहर में सचिवालय के साथ 5 जगहों पर ये क्रेच संचालित हो रहे हैं, जहां बच्चों को घर जैसा माहौल मिल रहा है। इससे इन महिलाओं की चिंता भी दूर हो रही है।

शहर में सचिवालय के अलावा कलक्ट्रेट, ग्रेटर निगम, विद्युत भवन और पुलिस एकेडमी शास्त्री नगर में क्रेच चल रहे हैं। इनमें एक से 7 साल के बच्चे रह रहे हैं। नौकरीपेशा महिलाएं सुबह दफ्तर आने से पहले बच्चों को यहां छोड़ देती हैं, वहीं लंच समय में संभाल लेती हैं। शाम को घर जाते वक्त बच्चों को साथ ले जाती हैं। दिनभर बच्चे अपने नजदीक रहने से महिलाएं चिंता मुक्त रहती हैं। इन क्रेच में 59 नौकरीपेशा महिलाएं अपने बच्चों को सुबह 9.30 से शाम 6 बजे तक रख रही हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे छुट्टी के बाद क्रेच आ रहे हैं, यहां उनका होमवर्क भी करवाया जा रहा है।

यह भी पढ़ें : गोदाम में ज्वलनशील केमिकल का किया भंडाफोड़, एजीटीएफ ने संचालक समेत तीन को किया गिरफ्तार

क्रेच की सुविधा मिलने से दिनभर बच्ची की देखभाल की चिंता दूर हो गई है। बच्ची को यहां रखने के बाद लगने लगा है कि भले ही सरकारी दफ्तर में कैंटिन हो या नहीं पर क्रेच होना चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से क्रेच अच्छी जगह है। बच्ची को क्रेच में छोड़ने के बाद उसकी चिंता नहीं रहती है। यहां बच्ची को खेलने की सुविधा भी मिल रही है।
- श्रद्धा चौधरी, वित्त विभाग में कार्यरत

कार्य स्थल के पास क्रेच की सुविधा मिलने से बच्चे की देखभाल की चिंता दूर हो गई। दिन में एक बार बच्चे को संभाल लेते हैं। बच्चे को घर जैसा माहौल मिल जाए और उसकी घर जैसे देखभाल हो जाए तो मां की बड़ी चिंता दूर हो जाती है। हर संस्था कार्यालय में यह सुविधा उपलब्ध करवाएं तो नौकरीपेशा महिलाओं को राहत मिल सकती है।
- प्रिया पारीक, बैंक मैनेजर