
जयपुर। राज्य में पिछले डेढ़ दशक में 3 सरकारें बनीं, तीनों का ही रवैया चौंकाने वाला रहा। तीनों का आधे से ज्यादा वक्त तो सुस्ती में बीता, फिर जागीं तो सिर्फ दनादन घोषणाएं करने के लिए। सत्ता में भाजपा हो या कांग्रेस, कार्यकाल के आखिरी साल में बड़ी-बड़ी घोषणाएं कीं। इनका असर भी हुआ, जनता को कई यादगार सुविधाएं मिलीं लेकिन ऐनवक्त पर जागने की परिपाटी हर बार सरकार को ले डूबी। जनता ने हर बार पासा पलट दिया।
अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार हो या वसुन्धरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार, पिछले 2-3 चुनावों से यही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। सरकारें सक्रिय ही चुनाव से साल-डेढ़ साल पहले होती हैं। कार्यकाल के 5 में से प्राय: 4 साल तो साधारण कामकाज में बीत जाते हैं, फिर चुनाव से पहले जनता पर वापस पकड़ बनाने के लिए हड़बड़ी में ताबड़तोड़ घोषणाएं की जाती हैं।
हड़बड़ी के चीते जनकल्याण की योजनाएं बनाने में विभिन्न संगठनों-समितियों की सिफारिशों की अनदेखी कर दी जाती है। कई योजनाएं तो ऐसी होती हैं, जिनके लिए न तैयारी हो पाती है और न बजट का जुगाड़। ऐसे में वे फ्लॉप ही साबित होती हैं।
गहलोत सरकार ने चुनाव से पहले के कुछ माह में जमकर घोषणाएं कीं। विपक्षी दलों ने वित्तीय संसाधनों का अभाव बताते हुए इन्हें महज चुनावी करार दिया। हालांकि घोषणाएं तुरत-फुरत में लागू कर दी गईं लेकिन कांग्रेस की सरकार बच नहीं पाई।
2013 में पार्टी की सबसे बड़ी हार हुई। जबकि मुफ्त दवा व नि:शुल्क जांच योजना इतनी लोकप्रिय हुई थी कि केन्द्र की सरकार ने भी इसे लागू कर दिया।
इसी तरह वसुंधरा राजे ने 2013 में सरकार बनाई लेकिन किसानों की ऋण माफी, स्टेट हाइवे पर छोटे निजी वाहनों को टोल मुक्त करने सहित ज्यादातर बड़ी घोषणाएं इसी साल की गईं। इससे पहले 2003 से 2008 तक भी वसुंधरा राजे की सरकार रही।
तब भी दावा किया गया कि सरकार रिजल्ट ऑरिएंटेंड सरकार है लेकिन 2008 में चुनाव परिणाम आया तो भाजपा को 78 सीटें ही मिलीं। कांग्रेस ने बसपा के विधायकों को तोड़कर सरकार बना ली।
सरकारों ने चुनाव से पहले के महीनों में कीं ये घोषणाएं
भाजपा सरकार
2003 से 2008
34 हजार गांवों को जुलाई 2008 से शहरों के समान नियमित बिजली देने की घोषणा।
03 हजार से ज्यादा उच्च प्राथमिक विद्यालयों को क्रमोन्नत करने की घोषणा।
न्यूनतम मजदूरी 73 से बढ़ाकर 100 रुपए प्रतिदिन की।
वृद्धावस्था एवं विधवा पेंशन बढ़ाई।
पूर्व सैनिकों के लिए नौकरियों की संभावनाएं बढ़ाई।
कांग्रेस सरकार
2008 से 2013
नि: शुल्क दवा-जांच योजना लागू की, पशुओं के लिए भी घोषणा की।
वृद्धावस्था पेंशन योजना लागू की, जिसका राज्य में बड़ा असर हुआ।
खाद्य सुरक्षा में मिलने वाला गेहूं 2 रुपए से घटाकर एक रुपए किलो किया।
किसानों के ब्याज पर 50 प्रतिशत रियायत देने की घोषणा।
राज्य में रिफाइनरी लगाने की घोषणा और शिलान्यास किया।
भाजपा सरकार
2013 से 2018
छोटे निजी वाहनों को स्टेट हाइवे पर टोल फ्री किया।
किसानों के 50 हजार तक के ऋण माफ, 29 लाख किसानों को राहत पहुंचाने का दावा।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के पात्र एक करोड़ परिवारों को स्मार्टफोन खरीदने के लिए एक-एक हजार रुपए देने की घोषणा।
राज्यसेवा में आवेदन की उम्र 35 से बढ़ाकर 40 साल की।
तीन साल काम नहीं करें, सिर्फ आखिरी साल में करें, ऐसा नहीं होना चाहिए। आखिरी साल में कितनी भी घोषणाएं करो, कोई फायदा नहीं। उन पर या तो काम ही नहीं हो पाता, या आधी-अधूरी लागू हो पाती हैं। आखिरी साल में घोषणाएं कर सत्ताधारी दल समझते हैं कि जनता सब भूल जाएगी लेकिन ऐसा नहीं है। जनता सब समझती है कि ऐनवक्त पर की गईं घोषणाएं चुनावों के लिए होती हैं।
एसएन सिंह, सेवानिवृत्त आइएएस
Published on:
06 Oct 2018 07:30 am
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