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‘तबादला बैन’ की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल? डोटासरा ने शिक्षामंत्री पर लगाए गंभीर आरोप; जानें क्या है पूरा माजरा

Rajasthan News: राजस्थान के शिक्षा विभाग में तबादलों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। इस बार गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षामंत्री मदन दिलावर पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

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Govind Singh Dotasara and Education Minister Madan Dilawar

गोविंद सिंह डोटासरा और शिक्षामंत्री मदन दिलावर (पत्रिका फाइल फोटो)

Rajasthan News: राजस्थान के शिक्षा विभाग में तबादलों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षामंत्री मदन दिलावर और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने गुरुवार को एक्स पर हमला बोलते हुए दावा किया कि राज्य की भाजपा सरकार 'तबादला बैन' की आड़ में शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का खुला खेल खेल रही है।

मनचाही पोस्टिंग देने का लगाया आरोप

डोटासरा ने कहा कि बैन में ट्रांसफर का खुला व्यापार, CMO पर भारी शिक्षा विभाग का भ्रष्टाचार…ऐसा लगता है कि शिक्षा मंत्री मानकर बैठे हैं कि 'शिक्षा में सुधार' का सबसे बड़ा हथियार केवल 'ट्रांसफर' करना है। एक तरफ भाजपा सरकार ट्रांसफर बैन का ढोल पीट रही है, तो दूसरी ओर शिक्षा विभाग 'बैन' की आड़ में बैकडोर से भ्रष्टाचार की पर्ची कटाने वालों को मनचाही पोस्टिंग दे रहा है।

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जबकि असल में जिनको पोस्टिंग मिलनी चाहिए, वो प्रमोशन के 3 महीने बाद भी ताक रहे हैं, या फिर रिटायर होकर घर जा चुके हैं।

डोटासरा ने ऐसे समझाया खेल

उन्होने कहा कि विभाग के भारी भ्रष्टाचार से शिक्षा व्यवस्था के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को समझिए… 26 मई को उप-प्राचार्य से प्राचार्य के 4,224 पदों पर डीपीसी हुई और 3 दिन बाद 29 मई को पदोन्नति पाने वालों को यथास्थान पदस्थापन का आदेश जारी कर दिया गया। मतलब ये हुआ कि वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल बनने वालों को उसी स्कूल में पदस्थापित कर दिया, जहां पहले से प्रिंसिपल लगे हुए थे। यानी इन स्कूलों में आज की तारीख में डबल प्रिंसिपल लगे हुए हैं।

डोटासरा ने कहा कि इतना ही नहीं, पदोन्नति पाने वालों में से 425 अपने मूल पद पर बिना पदस्थापन के ही रिटायर हो चुके हैं। बाकी बचे करीब 3800 को भटकाने के लिए शिक्षा विभाग 2 बार Counselling का कार्यक्रम जारी कर चुका है। पहले काउंसलिंग को निरस्त किया और अब तारीख आगे खिसका कर 25 अगस्त की गई है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि अभी तक रिक्त पदों की सूची ही जारी नहीं की… यानी विभाग में ट्रांसफर से भ्रष्टाचार का खेल खेलने के लिए पारदर्शिता का पैमाना जीरो है।

यहां देखें वीडियो-


शिक्षक संघों का विरोध, सीएम से गुहार

प्रिंसिपल के पद रिक्त होने के बावजूद इनको पोस्टिंग नहीं मिलने से नाराज़ शिक्षक संघ ना केवल इसका खुला विरोध कर रहे हैं, बल्कि इस भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं। लेकिन मुख्यमंत्री जी की क्या मजाल कि वो विभागीय मंत्री और आरएसएस के गठजोड़ की इस मनमानी और भ्रष्टाचार को रोक पाए। बच्चों का भविष्य गर्त में जा रहा है, लेकिन माननीय की प्राथमिकता में पढ़ाई नहीं, केवल कमाई है।