
पत्रिका न्यूज नेटवर्क/जयपुर। राजस्थान में भूजल के असंतुलित दोहन के चलते चार जिलों को छोड़ शेष 29 जिलों में पाताल में भी पानी नहीं बचा है। केन्द्रीय भूजल बोर्ड के इन ग्रास सॉफ्टवेयर से 2020 में भूजल के आकलन में यह स्थिति सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार 2017 में अतिदोहित क्षेत्रों की संख्या 185 थी, जो 2020 में बढ़कर 205 हो गई। यही स्थिति सुरक्षित क्षेत्रों की है। हालांकि इस रिपोर्ट को अभी मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी के समक्ष अनुमोदन के लिए रखा जाएगा। फिर रिपोर्ट को केन्द्रीय भूजल बोर्ड के पास भेजा जाएगा।
अब सॉफ्टवेयर से आकलन
विभाग के अधिकारियों के अनुसार पहले राज्यों के भूजल की स्थिति का आकलन मैन्युअल होता था। अब इन-ग्रास सॉफ्टवेयर (इंडिया ग्राउंड वाटर रिसोर्स एसेसमेंट) के जरिए किया जा रहा है। इससे किसी भी राज्य के भूजल की स्थिति का सटीक आकलन हो सकता है। 31 मार्च को एक्सपर्ट कमेटी ने राजस्थान की रिपोर्ट का आंकलन कर अनुमोदन कर दिया है।
29 जिले अतिदोहित, 4 जिले ही सुरक्षित
वर्ष 2020 की इन-ग्रास रिपोर्ट के अनुसार 29 जिले अतिदोहित क्षेत्र में हैं। जबकि बांसवाड़ा, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर और डूंगरपुर जिले ही ऐसे हैं, जहां भूजल की स्थिति ठीक है। अधिकारियों का कहना है कि जल संरक्षण के उपाय होने से ये जिले सुरक्षित रहे हैं। इस तरह की रिपोर्ट राज्य सरकार ने विधानसभा में भी रखी है।
अब कोई रिकॉर्ड नहीं
राज्य सरकार ने 5 श्रेणियों में ट्यूबवैल खोदने की अनुमति जारी की है। अब तक कितने ट्यूबवैल खोदे गए, इसकी जानकारी न तो जिला प्रशासन को है, न भूजल विभाग को। अब ट्यूबवैल खोदने के लिए अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
दोहन में 5 प्रतिशत की कमी, सुरक्षित क्षेत्र भी घटे
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के भूजल दोहन की स्थिति में सुधार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार 2017 में भूजल का दोहन लगभग 139 प्रतिशत था, जो 2020 में लगभग 134 प्रतिशत यानी 5 प्रतिशत कम दर्ज हुआ है। हालांकि इसका ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है क्योंकि सुरक्षित क्षेत्रों में भी कमी हो रही है।
तुलनात्मक स्थिति
क्षेत्र —— 2017 —— 2020
अतिदोहित —— 185 —— 205
सुरक्षित —— 45 —— 39
क्रिटिकल —— 33 —— 26
सेमी क्रिटिकल —— 29 —— 22
Published on:
05 Apr 2021 08:48 am
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