
जयपुर। राजस्थान में भूजल का दोहन किसानों के अलावा अन्य किसी को बिना एनओसी के नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए विभाग द्वारा किसानों को जागरूक भी किया जाएगा। वहीं कुछ श्रेणियां में एनओसी लेने की छूट भी गई है। साथ ही केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) की गाइडलाइन की उल्लंघन करने पर अवैध ट्यूबवेलों को सील करना, अवैध ट्यूबवेलों की विद्युत सप्लाई को रोकना, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गिरते भूजल स्तर की स्थिति को देखते हुए अधिक भूजल दोहन पर रोक लगाने के लिए यह निर्णय किया गया है। इसके अलावा ट्यूबवेल की खुदाई मशीन का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य होगा।
भूजल विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि बड़े उद्योग बिना एनओसी भूजल दोहन नहीं कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि सभी नए और मौजूदा उद्योग, उद्योग जो विस्तार करना चाहते हैं, आधारभूत ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं, खनन परियोजनाएं, वृहत जल आपूर्ति, शहरी जल आपूर्ति योजनाएं, खारा जल निष्कर्षण के लिए एनओसी लेना अनिवार्य होगा।
केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने भूजल दोहन के लिए एनओसी का उल्लंघन करने वालों, एनओसी के लिए आवेदन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का जिला कलक्टर और प्रत्येक उपखंड के एसडीएम को अधिकार दिए हैं। राज्य सरकार ने सभी जिला मजिस्ट्रेट एवं उपखण्ड मजिस्ट्रेट से केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त गाइडलाइंस की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। भूजल दोहन के लिए केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण की एनओसी लेना अनिवार्य होगा। गाइडलाइन की उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें अवैध ट्यूबवेलों को सील करना, अवैध ट्यूबवेलों की विद्युत सप्लाई को रोकना, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पर्यावरण सुरक्षा एक्ट 1986 की अनुपालना में अभियोजन की कार्यवाही करना शामिल हैं।
कुछ श्रेणियां में एनओसी लेने की छूट दी गई है। व्यक्तिगत घरेलू उपभोक्ता द्वारा पीने के पानी एवं घरेलू कार्यों में उपयोग का पानी, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाएं, सशस्त्र सेना और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल प्रतिष्ठान, कृषि कार्य के लिए, छोटे और लघु उद्योग (10 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन से कम भूजल निकालते हैं), सभी उद्योग-खनन आधारभूत परियोजनाएं जो केवल पीने या घरेलू उपयोग के लिए 5 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन तक भूजल निकालते हैं, आवासीय अपार्टमेंट और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, पीने के पानी एवं घरेलू कार्य के लिए (प्रतिदिन 20 क्यूबिक मीटर भूजल का दोहन), सरकारी योजनाओं के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की आवासीय इकाइयां को एनओसी लेने से छूट दे गई है।
एनओसी प्राप्त करने के लिए कुछ अनिवार्य शर्तें रखी गई हैं। जिसमें टेलिमेटरिक सिस्टम युक्त टैंपर प्रूफ डिजिटल वाटर फ्लो मीटर लगाना, रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग एवं रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण, डिजिटल जल प्रवाह मीटर के साथ पिजोमीटर लगाना, समय-समय पर भूजल की गुणवत्ता का विश्लेषण और मॉनिटरिंग आवश्यक होगी।
इसके अलावा कुछ दिशा निर्देश भी दिए गए हैं, जिसके अनुसार उद्योगों को उचित जल प्रबंधन की तकनीक काम में लेनी होगी जिससे भूजल पर निर्भरता कम हो सके। उपचारित या अनुपचारित जल को एक्वायफर में डालना पूर्णतया निषेध होगा। साथ ही भूजल को प्रदूषित करने की रोकथाम करने के प्रयासों को सुनिश्चित करना होगा। खनन उद्योगों के लिए खनन गतिविधियों, डस्ट सस्पेंशन के दौरान किए जाने वाली जल निकासी प्रक्रिया के दौरान काम में लिए गए जल का उपयोग करना अनिवार्य किया गया है। आधारभूत ढांचों के प्रोजेक्ट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण अनिवार्य किया गया है।
Published on:
18 Jul 2024 10:22 pm
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