
जयपुर। भारत बन्द के दौरान सोमवार को राज्य में हुड़दंग के बीच एक तस्वीर दूसरी भी नजर आई। मदद की तस्वीर। जहां-जहां प्रदर्शनकारी थे, मददगार भी थे। मानो ठानकर आए थे, किसी को भी फंसने और परेशान नहीं होने देंगे। जयपुर हो या जोधपुर , अजमेर हो या कोई अन्य शहर। ये मददगार हर जगह खड़े थे। कहीं जाम में एम्बुलेंस को राह दिखाई, कहीं घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया। कहीं पानी पिलाया, कहीं अटके लोगों को घर की ओर बढ़ाया। इन मददगारों की संख्या भी कम नहीं थी, जो दर्द बांटकर खुशी दे गए और ले भी गए। यहां पढि़ए ऐसे ही कुछ मददगारों के हौसले की कहानी।
गांव वालों ने की भोजन-पानी की व्यवस्था
हिण्डौनसिटी: उपद्रव के कारण रेल यातायात ठप होने से बड़ी संख्या में यात्री स्टेशनों पर अटक गए। कोटा-आगरा पैसेंजर ट्रेन को दोपहर करीब 12 बजे श्रीमहावीरजी स्टेशन पर रोकना पड़ा। शाम तक हालात नहीं सुधरे तो पटोंदा गांव के ग्रामीणों ने भूख-प्यास से व्याकुल यात्रियों की मदद की। रात करीब 8 बजे ग्रामीण पूड़ी-सब्जी बनवाकर स्टेशन पहुंचे और टे्रन में बैठे करीब 1500 यात्रियों को भोजन कराया। हिण्डौन स्टेशन पर भी लोगों ने शाम को करीब 1000 लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की। प्याऊ पर पानी का टैंकर भी भिजवाया।
उन मददगारों ने बेटे को अस्पताल पहुंचाया
सीकर: सीकर के अजीतगढ़ से रैफर हुए घायल युवक नीरजकुमार को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती किया गया है। नीरज के पिता सागर ने बताया, सोमवार सुबह नीरज कोचिंग से लौट रहा था। तब मुख्य बाजार में पत्थर की टक्कर से एक वृद्धा को नीचे गिरते देख नीरज उसे उठा रहा था। इतने में उसके सिर पर ईंट आकर गिरी और वह अचेत हो गया। शुक्र है कि कुछ मददगार दौड़े आए और नीरज को अस्पताल ले गए। हम पहुंचे तब तक प्राथमिक उपचार हो चुका था। चोट गंभीर होने पर उसे एसएमएस रैफर कर दिया गया।
बुजुर्ग दम्पती ने कहा, आओ बेटी हम छोड़ देंगे
जयपुर: दुर्गापुरा निवासी नेहा तिवाड़ी की मदद बुजुर्ग दम्पती ने की। नेहा ने बताया, मैं मालवीयनगर में निजी स्कूल में पढ़ाती हूं। बेटा भी मेरे साथ इसी स्कूल में आता है। दोपहर बाद बेटे के साथ दुर्गापुरा लौट रही थी तब जवाहर सॢकल के पास भीड़ ने टैक्सी रोकी और नीचे उतरने को कहा। फिर चालक तो टैक्सी लेकर चला गया लेकिन मैं और 11 साल का बेटा नक्षत्र देर तक अटके रहे। शुक्र है कि वहां आए बुजुर्ग दम्पती ने परेशान देख कहा कि तुम हमारी बेटी जैसी हो, हम तुम्हें घर छोड़ देंगे। दम्पती हमें घर तक छोड़ गए।
बरसते पत्थरों के बीच वह नींबू पानी पिलाता रहा आदूराम
जोधपुर: हाईकोर्ट रोड पर रेलवे ओवरब्रिज से कांच की बोतलें और पत्थर बरस रहे थे। तब फलोदी तहसील के चिमाणा निवासी आदूराम रेलवे यात्रियों और पुलिस वालों को नींबू पानी पिलाने में जुटे थे। तीन घंटे तक ब्रिज के नीचे खड़ी जैसलमेर-जोधपुर ट्रेन के यात्रियों को बोतलों में पानी भरकर देते रहे। पुलिस कर्मियों ने पैसे देने चाहे तो बोले, रोज लेवां ही हां, आज लोगां री सेवा सही। इस बीच पत्थर-बोतलों से खुद का बचाव भी करते रहे। आदूराम ने कहा, पुलिसकर्मी भी जनता के लिए पत्थर खा रहे थे तो हमें डर कैसा?
दो युवकों ने बचाया, वरना बहुत नुकसान हो जाता
अजमेर: जयपुर रोड पर शहर से 10 किलोमीटर दूर भूणाबाय में दुकानदार रवि रावत भीड़ से घिर गया। दुकान में तोडफ़ोड़ शुरू हो गई। रवि ने मदद के पुकारा तो दो युवक दौड़े आए। हौसला दिखाकर प्रतिरोध किया, आखिर हुड़दंगियों को लौटना पड़ा। रवि ने बताया कि भंवरसिंह शेखावत और महावीर सिंह मदद के लिए नहीं आते तो बहुत नुकसान हो जाता।
भीड़ में फंसे विदेशी सैलानियों को बचाया
हिण्डौनसिटी: स्टेशन रोड पर कैलादेवी से आगरा ? जा रहे विदेशी सैलानियों की बस को रोक कर भीड़ ने पथराव किया, बस के शीशे तोड़ दिए। पत्थर लगने से बस में बैठे ऑस्ट्रिया के दो सैलानी घायल हो गए। खौफजदा सैलानी बस से उतरने लगे तो उनका सामान छीनने की कोशिश की गई। इस बीच गजानंद सोलंकी व शिक्षक मोहनसिंह भीड़ के बीच सैलानियों तक पहुंचे और ले जाकर प्राथमिक उपचार कराया। इस दौरान पत्थर लगने से मोहनसिंह भी घायल हो गए। शाम को पुलिस के सहयोग से पर्यटकों को सुरक्षित स्थान पर ठहराया।
Published on:
04 Apr 2018 11:23 am
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