इस पर वह खुद डॉ. रामदास यादव, प्रदीप चौधरी एवं टीम के साथ मौके पर पहुंचे और 350 से अधिक भेड़ों का उपचार किया। वहीं मृत 45 भेड़ों का पोस्टमार्टम कर सेंपल भी लिए। इधर पशुचिकित्सकों की टीम अन्य बीमार भेड़ों का उपचार करने में जुटी हुई है। उन्होंने बताया कि विषाक्त चारे से ग्राम खेडा ममाणा तहसील साखून दूदू निवासी लक्ष्मण गुर्जर पुत्र भूराराम व रूपाराम गुर्जर पुत्र बोदूराम की 45 भेड़ें मौत का शिकार हो गई। डॉ. अटल ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या जांच में इन भेड़ों की मौत होने का कारण अधिक मात्रा में नीम की पत्तियां और टहनियां खाने से हुई है।
इस दौरान मौके पर पहुंचे पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ.रामदास यादव व अन्य कंपाउण्डरों ने बीमार हुई अन्य भेडों का उपचार किया, जिससे भेड़ों की मौत होने का सिलसिला रूक गया। इधर सूचना मिलने पर मौके पर सरपंच सुनीता मदन प्रजापत, पशुधन सहायक ओमप्रकाश यादव, पटवारी छोटे लाल मीणा, कृष्ण कुमार मीणा, श्रवण गुर्जर, कानाराम जाट, गंगाराम गुर्जर आदि ग्रामीण भी पहुंचे। ग्रामीणों ने पीडित को आर्थिक सहायता दिलवाने की मांग की। जिस पर पटवारी मीणा ने सरकारी सहायता के लिए मौका रिपोर्ट तैयार की।
5 लाख से अधिक का नुकसान
पीड़ित रूपाराम व लक्ष्मण गुर्जर ने बताया कि दोनों की करीब 400 से भेड़ें थी। जिनको खिलाने के लिए उन्होंने नीम का पेड़ खरीदा था। नीम की पत्तियां खाने के बाद अचानक भेडें बीमार होकर मरने लगी। पीड़ितों ने बताया कि इस दौरान उनकी 45 भेडें मौत का शिकार हो गई। जिससे उनको करीब 5 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हो गया। उन्होंने सरकार से आर्थिक सहायता दिलवाने की मांग की है।