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अजीब स्थिति : यहां शव को दो बार ले जाते हैं श्मशान घाट, पहली बार इसलिए नहीं होता दाह संस्कार

इंसान का अंतिम सफर...। मौत के बाद मोक्ष की ओर...जो घर से श्मशान तक तय किया जाता है। वो भी केवल एक बार, मगर यहां स्थिति अजीब है। शव श्मशान घाट दो बार ले जाना पड़ता है। पहले पोस्टमार्टम और फिर अंतिम संस्कार के लिए। यह कड़वी हकीकत सीकर के लक्ष्मणगढ़ की है।

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Vishwanath Saini

Nov 27, 2015

इंसान का अंतिम सफर...। मौत के बाद मोक्ष की ओर...जो घर से श्मशान तक तय किया जाता है। वो भी केवल एक बार, मगर यहां स्थिति अजीब है। शव श्मशान घाट दो बार ले जाना पड़ता है। पहले पोस्टमार्टम और फिर अंतिम संस्कार के लिए।

यह कड़वी हकीकत लक्ष्मणगढ़ की है। मौत के जिन मामलों में पुलिस पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपती है, उनमें इस स्थिति का सामना करना पड़ता है। दरअसल, लक्ष्मणगढ़ में मोर्चरी (मुर्दाघर) सरकारी अस्पताल की बजाय श्मशान घाट में बनी हुई है।

जानकारी के अनुसार करीब दस साल पहले कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मोर्चरी बनवाई गई थी। शवों का यहीं पोस्टमार्टम होता था। इस मोर्चरी का एक रास्ता अस्पताल के अंदर और दूसरा रास्ता अस्पताल के पास आबादी क्षेत्र से था। शवों को मोर्चरी में दूसरे रास्ते से लाया व ले जाया जाता था, जिसका स्थानीय लोग विरोध करने लगे थे। तब विरोध के चलते मोर्चरी को अस्पताल से भूतनाथ मोक्षधाम स्थानांतरित कर दिया गया था।

बीच में अटका काम

करीब पांच माह पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण करने आए सांसद सुमेधानन्द सरस्वती को लोगों ने इस समस्या से अवगत करवाया था। तब सांसद ने भाजपा शहर अध्यक्ष मनोज शर्मा से चर्चा कर मोर्चरी को वापस अस्पताल में लाने का आश्वासन दिया था। अस्पताल में मोर्चरी का नए सिरे से निर्माण कार्य भी शुरू हुआ, जो फिलहाल किन्हीं कारणों से बीच में अटका हुआ है।

जिम्मेदारों का तर्क
अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि भाजपा अध्यक्ष ने सांसद के कहने पर मोर्चरी की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उन्होंने औपचारिकताएं पूरी नहीं की। भाजपा अध्यक्ष का कहना है कि चिकित्सा विभाग व अस्पताल प्रबंधन प्रस्तावित मोर्चरी की औपचारिकताओं को लेकर लगातार बदल रहे हैं।

क्या है धार्मिक मान्यता

हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार शव को समस्त क्रियाकर्म पूरे करने के बाद एक बार ही श्मशान घाट ले जाया जाता है, जहां उसका दाह संस्कार होता है। श्मशान घाट ले जाने के बाद शव को बिना अंतिम संस्कार के वापस घर लाना हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार गलत माना गया है।

उस समय भाजपा अध्यक्ष से हुई चर्चा के बाद से यह मामला मेरी जानकारी में दुबारा नहीं आया है। आपने ध्यान दिलाया है तो मामले को फिर से दिखवाता हूं।
- स्वामी सुमेधानन्द, सांसद, सीकर
अस्पताल में मोर्चरी बनाने को लेकर सांसद व भाजपा अध्यक्ष के बीच वार्ता हुई थी। भाजपा अध्यक्ष ने मोर्चरी बनवाने की जिम्मेदारी ली थी।
- डॉ मदन जाखड़, प्रभारी, सीएचसी, लक्ष्मणगढ़

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