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हाईकोर्ट के निर्देश : अदालतों पर गबन का लांछन न लगे, इसलिए डीजे बढाएं निगरानी

हाईकोर्ट ने जारी किए हर छह में अधीनस्थ अदालतों व अधिकरणों के लेखा निरीक्षण के निर्देश

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jaipur

अदालतों पर गबन का लांछन न लगे, इसलिए डीजे बढाएं निगरानी

शैलेन्द्र अग्रवाल / जयपुर। अधीनस्थ अदालतों, हाईकोर्ट के अधीन आने वाले अधिकरण सहित किसी कार्यालय के लेखों में गबन या अनियमितता की संभावना नहीं रहे, इसलिए हाईकोर्ट प्रशासन इन सभी जगह हर छह माह में लेखों के निरीक्षण की व्यवस्था शुरु करने जा रहा है। इसके लिए आदेश व दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं, जिनकी पालना को गंभीरता से लेने की हिदायत दी गई है।

हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल की ओर से परिपत्र जारी कर कहा है कि अदालत, प्राधिकरण और उनसे जुडे कार्यालयों में लिपिक, कार्यालयाध्यक्ष और विभागाध्यक्ष के दायित्वों के कठोरता से पालन नहीं करने की शिकायत आती है, जिससे गबन या अनियमितता के मामले भी सामने आते हैं। हाईकोर्ट प्रशासन ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है।

हाईकोर्ट की ओर से गठित अंकेक्षण टीमों की संख्या पर्याप्त नहीं होने के कारण अधिकांश न्यायालयों का अंकेक्षण वर्षों तक नहीं हो पाता है। हालांकि वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए समयबद्ध अंकेक्षण अनिवार्य है। इस स्थिति के कारण भविष्य में गबन या वित्तीय अनियमितता की स्थिति टालने के लिए सभी स्तर निगरानी व रिकॉर्ड संधारण में नियमों की कठोरता से पालना कराई जाए।

जिला न्यायाधीश अपने स्तर पर बढ़ाएं निगरानी
हाईकोर्ट की ओर से कहा है कि विभागाध्यक्ष के नाते अधीनस्थ अदालतों में वित्तीय अनुशासन बनाए रखना हर जिला न्यायाधीश का दायित्व है, इसके लिए स्थानीय स्तर पर आंतरिक जांच दल बनाए जाएं। हर छह माह में वित्तीय लेखों की कम से कम एक बार जांच हो, इसके लिए आंतरिक जांच दल में स्वच्छ छवि वाले दो लेखाकर्मी शामिल किए जाएं। कार्य अधिक हो तो आंतरिक जांच दल में सहायक लेखाधिकारी-द्वितीय या कनिष्ठ लेखाकार को भी शामिल किया जाए। नियमित लेखाकार्य प्रभावित नहीं हो, इसके लिए हर माह पहले व अंतिम सप्ताह को छोड़कर जांच या अंकेक्षण कार्यक्रम तय किया जाए और प्रत्येक कार्यालय की जांच दो दिन में पूरी कर ली जाए। रिपोर्ट के आधार पर आरोपों पर स्पष्टीकरण लिया जाए और गंभीर अनियमितता हो तो हाईकोर्ट प्रशासन से जांच या ऑडिट का आग्रह किया जाए।