
जयपुर में चुंगी वसूली का काम कैसे हुआ शुरू, जानें इतिहास के झरोखे से
जितेन्द्र सिंह शेखावत/ जयपुर। गुलाबीनगर में परकोटा और इसके अन्दर के शहर में कई दरवाजे है। इन दरवाजों का एक नाम पोळ भी है। यहां बने पुराने भवनों में भी पोळ यानी थोथापन है। पोल के बारे में यह कहावत.. 'जैपर शहर नगीनों, अंदर माटी ऊपर चूनो'। रियासतकालीन दौर में भी पोळ होने के कई उदाहरण मिलते हैं। शासन में ढीलेपन के चलते कई लोगों ने प्रधानमंत्री का पद तक हासिल कर पोळ का ढोळ बजा दिया था।
इतिहासकार रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी ने लिखा है कि आकेड़ा से नौकरी के लिए आया मानजीदास पुरोहित जैसा साधारण आदमी प्रधानमंत्री बन गया था। मानजीदास तहवीलदारों के रास्ते में भाई बंधुओं की हवेली में रहकर नौकरी के लिए भटकता था। एक दिन वह बड़े हाकिम से मिला तब हाकिम ने उसे कहा ..जैपर का राज मै तो पोळ छै। मौका लगे वहीं पर घुसजा। इशारा मिलने के बाद मानजीदास किशनपोल दरवाजे के बाहर बही-पोथी लेकर बैठ गया। बैलगाडिय़ों से शहर में आने वाले अनाज व अन्य सामान की एवज में एक से चार टका तक टैक्स वसूलने लगा। प्रशासन ने समझा कि मानजीदास को महाराजा ने ही कर वसूली के लिए बैठाया होगा।
मानजीदास भरण पोषण के बाद बची रकम खजाने में जमा कराने लगा। उसने वसूली में सख्ती की तो मामला महाराजा तक पहुंच गया। मानजीदास ने महाराजा जगतसिंह से कहा कि खजाना खाली होते देख पोळ को भरने के लिए आपकी इजाजत के बिना ऐसा किया। मानजीदास ने खजाने में जमा कराई रकम की रसीदे भी पेश कर दी। यह बात सुन महाराजा ने मानजी दास को दण्ड देने के बजाय ओहदेदार बना दिया। जयपुर में चुंगी वसूली का काम मानजीदास ने ही शुरु किया था। वह राहदारी कर वसूली का दारोगा और फौज बक्शी रहने के बाद रियासत का तक प्रधानमंत्री बना।
इतिहासकार आनन्द शर्मा ने बताया कि रसकपूर के प्रेमपाश में बंधे सवाई जगत सिंह के जमाने में रस कपूर की वजह से ढूढाड़ का राजकाज डांवाडोल हो गया था। इस दौर में रस कपूर को धर्म की पुत्री बनाने वाला शिव नारायण मिश्र और धर्म बहन बनाकर गणेश नारायण रियासत का प्रधानमंत्री बन गया था। बालाबक्स खवास भी माधोसिंह का मर्जीदान बन बड़ा हाकिम बना। हरगोविंद नाटाणी ने प्रधानमंत्री केश्वदास खत्री को महाराजा ईश्वर सिंह के हाथ से जहर पिलवाकर मारा और खुद प्रधानमंत्री बन गया।
Published on:
17 Jul 2018 08:30 pm
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