
जयपुर। जयपुर के चौड़ा रास्ता के ताड़केश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के दर्शनों के लिए शहर भर से लोग पहुंचते हैं।
इतिहासकारों की मानें तो जयपुर स्थिापना से पहले का यह शिवलिंग है। पहले यहां पर श्मशान घाट हुआ करता था। मान्यता तो यह भी है कि एक बार अम्बिकेश्वर महादेव मंदिर के महंत पंचम लाल व्यास सांगानेर जाते वक्त यहां रुके थे।
तब उन्होंने शिव ***** को देखा था। जयपुर स्थापना के समय मंदिर के दोनों ओर से रास्ता निकालने की योजना थी, लेकिन रियासत के वास्तुविद विद्याधर, राजगुरु रत्नाकर पौंड्रिक और प्रधानमंत्री राजामल खत्री ने दूसरा रास्ता बनाने की योजना बनाई थी। बाद में विद्यधार की बेटी माया देवी ने मंदिर का निर्माण कराया। ताड के अधिक वक्ष होने की वजह से शिव जी को ताडकेश्वर के नाम से जाना जाने लगा।
सावन के दिनों में यहां भक्तों का सैलाब उमडता है। प्रमख शिवालयों में इसका नाम आता है। सावन के सोमवार को यहां प्रभु का विशेष शूंगार किया जाएगा।
किसी भक्त की जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह यहां आकर 51 किलो दूध—घी से जलेहरी को भरता है। वहीं ऐसी मान्यता है कि राहु की दशा वाले लोगों का लगातार दर्शन करने से राहुकाल खत्म हो जाता है।
Updated on:
29 Jul 2018 05:02 pm
Published on:
29 Jul 2018 02:35 pm
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