कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे के साथ हुई। इसके बाद बाबा की शान में कव्वालियों का दौर शुरू हुआ। बाबा बिगड़ी बनाने आजा, सोई तकदीर जगाने आजा…, तेरे दर पर सर झुकाया, तुझे दुख में हम पुकारें … जैसी कव्वालियों ने लोगों की खूब वाहवाही बटोरी।
फाग के गीत रंग मत डाल रे सांवरिया…,नैणा नीचा कर ले, श्याम से मिलावली कांईं, बाबा नन्द के दरबार मची रे होली…जैसे भजनों ने माहौल में भक्ति के रस से सराबोर कर दिया। इसी दौरान फूलों की होली खेली गई। सभी ने एक दूसरे पर फूल बरसाए। उत्सव में सैकड़ों की संख्या में जायरीनों ने शिरकत की। शाम को प्रसादी और लंगर का आयोजन किया गया। यह फागोत्सव दरगाह गद्दीनशीन राजेन्द्र सरस्वती की देखरेख में हुआ।
गुलाल लगाकर भजनों पर थिरके
दूसरी ओर वीर श्याम नवयुवक मंडल की ओर से खेजड़ों के रास्ते में फागोत्सव मनाया गया। लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाया और भजनों पर खूब थिरके। इस मौके पर मंडल के अध्यक्ष विनीत जैन ने बताया कि कार्यक्रम में दिगम्बर जैन मंदिर जोबनेर के अध्यक्ष संजय रांवका, सचिव राजेश काला, पार्षद सुनीता आकड़, नागरिक विकास समिति वार्ड 75 के अध्यक्ष महेश अग्रवाल, विजेंद्र कसाना, जितेन्द्र आमेरिया, अशोक जैन आदि शरीक हुए।
दूसरी ओर वीर श्याम नवयुवक मंडल की ओर से खेजड़ों के रास्ते में फागोत्सव मनाया गया। लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाया और भजनों पर खूब थिरके। इस मौके पर मंडल के अध्यक्ष विनीत जैन ने बताया कि कार्यक्रम में दिगम्बर जैन मंदिर जोबनेर के अध्यक्ष संजय रांवका, सचिव राजेश काला, पार्षद सुनीता आकड़, नागरिक विकास समिति वार्ड 75 के अध्यक्ष महेश अग्रवाल, विजेंद्र कसाना, जितेन्द्र आमेरिया, अशोक जैन आदि शरीक हुए।
यहां पूजा गया गाय का ढूंढ
बच्चे की बेहतर सेहत व उसे बुरी नजर से बचाने के लिए होली पर ढूंढ पूजे जाने का रिवाज है। वहीं, हिंगोनिया (कालवाड़) स्थित मुरलीपुरा ग्राम के ठाकुरसीकाबास ग्राम में एक परिवार में गाय का ढूंढ पूजा गया। इस दौरान घर की सजावट के साथ ही हवन व पूजा की गई। साथ ही वहां उत्सव का माहौल रहा। जिस किसी ने भी यह खबर सुनी उसका मन श्रद्धा भर गया। दरअसल, ग्राम ठाकुरसीकाबास निवासी सियाशरण शर्मा व गोविन्द शर्मा के यहां ९ फरवरी २०१७ को बछड़ी जन्मी थी, जिसका नाम गंगा रखा गया। गंगा के पहले जन्मदिन पर शर्मा ने बहन-बेटियों से उसके लिए वस्त्र मंगवाकर ढूंढ भी पूजवाया। जन्मदिन पर पूजा-पाठ भी करवाया व केक भी काटा गया। वहीं, होली से पूर्व गंगा का ढूंढ भी पूजा गया।