
जयपुर। मोबाइल पर बढ़ते स्क्रीन टाइम के कारण बच्चे तेजी से वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार हो रहे है। कोविड के बाद ऑनलाइन पढ़ाई और सिंगल फैमिली के कारण बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ा है, जिसके परिणामस्वरूप वर्चुअल ऑटिज्म महामारी की तरह फैल रहा है। हर तीसरे परिवार में इस समस्या से पीड़ित बच्चे देखने को मिल रहे हैं। ये बच्चे या तो हाइपरएक्टिव होते हैं या फिर अपने आप में खोए रहते हैं। जयपुर में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी कॉन्क्लेव में विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर चर्चा की।
डॉक्टर्स ने बताया कि बच्चों में स्क्रीन टाइम का प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक रूप से पड़ रहा है। बच्चों में ब्रेन फोकस कम हो रहा है और दौरे आने के मामले बढ़ रहे हैं, जो कि मोबाइल या अन्य स्क्रीन पर बढ़ती निर्भरता के कारण हो रहा है। माता-पिता का नौकरी पेशा होना और एकल परिवार में रहना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। राजस्थान अकेडेमी ऑफ पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी का गठन किया गया है। जो बच्चों में न्यूरोलॉजिकल बीमारियों पर काम करेगा।
कॉन्फ्रेंस में देशभर से 150 से अधिक सीनियर पीडियाट्रिशियन ने भाग लिया और बच्चों में होने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज की नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी साझा की। इस दौरान ऑर्गनाइजिंग प्रेसिडेंट डॉ. लोकेश सैनी, डॉ. वर्णित शंकर, डॉ. अजय गोयनका, डॉ. संजीव जोशी, डॉ. मीनल गर्ग, डॉ. एस. सीतारमण, डॉ. अनूप वर्मा व अन्य डॉक्टर्स उपस्थित रहें।
Updated on:
23 Feb 2025 09:39 pm
Published on:
23 Feb 2025 09:32 pm
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