पेट्रोलियम कंपनियों की मनमानी के चलते आज फिर जयपुर में पेट्रोल और डीजल के भाव में नया रिकॉर्ड बना है। राजधानी में पहली बार पेट्रोल के भाव 83 रूपए प्रति लीटर और डीजल 77 रूपए प्रति लीटर से ज्यादा हो गए हैं। आज जयपुर में पेट्रोल 83.30 रूपए प्रति लीटर और डीजल के भाव 77.21 पैसे प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं। आज पेट्रोल 40 पैसे और डीजल 46 पैसे प्रति लीटर महंगे हुए हैं। कल भी पेट्रोल 49 पैसे और डीजल 54 पैसे महंगा हुआ था। डायनामिक प्राइसिंग लागू होने के बाद संभवत: ये पहला मौका था जब पेट्रोल या डीजल की कीमत में एक दिन में 54 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी गई हो।
वर्ष 2014 में जब भारत कच्चा तेल 6,408 रूपए प्रति बैरल के स्तर पर था, उस समय पेट्रोल 71.41 रूपए प्रति लीटर और डीजल 56.71 रूपए प्रति लीटर मिल रहा था। अब कच्चे तेल की कीमत लगभग 4,900 रूपए प्रति बैरल के आसपास है, तो पेट्रोल 83.30 रूपए और डीजल 77.21 रूपए प्रति लीटर मिल रहा है। 2014 के मुकाबले अब कच्चे तेल की कीमतें 25 फीसदी तक कम हो गई हैं। इसके बावजूद पेट्रोल 11.89 रूपए/लीटर और डीजल 20.50 रूपए/लीटर महंगा हो गया है। असल में पेट्रोल—डीजल की कीमतें बढ़ने का कारण है कच्चे तेल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड सस्ता हो रहा था, तब सरकार ने नवम्बर 2014 से जनवरी 2016 तक उत्पाद शुल्क में 9 बार बढ़ोतरी कर दी। मौजूदा वक्त में केन्द्र और राज्य सरकार पेट्रोल पर ग्राहकों से 39.31 पैसे और डीजल पर 27.79 पैसे टैक्स वसूल रही है।
2014 में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में साढ़े 14 रूपए प्रति लीटर का अंतर था। जो आज घटकर 6 रूपए प्रति लीटर रह गया है। कुछ अर्सा पहले सरकार की तरफ से कहा गया था कि डीजल पर सरकार ज्यादा सब्सिडी दे रही है। लेकिन डीजल का उपयोग कार चलाने में भी होता है। कार चलाने वाले लोग डीजल की ज्यादा कीमत दे सकते हैं। इसे देखते हुए हर रोज पेट्रोल से ज्यादा डीजल के दाम बढ़ाए जा रहे हैं। इस मामले में एक पक्ष ये भी है कि डीजल से ट्रक—बसें चलती है डीजल महंगा होने से भाड़ा बढ़ता है और इसका असर आखिरकार जनता पर ही पड़ता है। इसी तरह किसान भी ट्रेक्टर और पम्पसेट डीजल से चलाते हैं, डीजल महंगा होने से उनकी फसल उत्पादन लागत बढ़ती है। लगता है सरकार इस पहलु को नजरअंदाज कर दिया है।
पेट्रोलियम कंपनियों की मनमानी का आलम ये है कि ये कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भाव कम होने के बावजूद कीमतें घटाने का कोई भरोसा भी नहीं दिला रही हैं। पेट्रोलियम कंपनियां पेट्रोल—डीजल महंगा होने के पीछे रूपए में गिरावट को जिम्मेदार ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही हैं। वहीं, केन्द्र सरकार ने पेट्रोल—डीजल की कीमतों में बेताहाशा बढ़ोतरी पर चुप्पी साध ली है।