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राजस्थान में 5 साल में 568 बच्चे अकाल मौत के शिकार, 80% बच्चों की करंट- डूबने से मौत

सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 568 बच्चों ने पिछले पांच सालों में विभिन्न दुर्घटनाओं में दम तोड़ दिया। दुर्घटनाओं में मौत के शिकार बच्चों में सरकारी स्कूलों के 482 और निजी स्कूलों के 86 बच्चे शामिल हैं।

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चूरू के सादुलपुर में स्कूली बच्चों का ऑटो रिक्शा पलटा, पत्रिका फोटो

Rajasthan News: राजस्थान में स्कूली विद्यार्थियों की दुर्घटना में मौत का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 568 बच्चों ने पिछले पांच सालों में विभिन्न दुर्घटनाओं में दम तोड़ दिया। दुर्घटनाओं में मौत के शिकार बच्चों में सरकारी स्कूलों के 482 और निजी स्कूलों के 86 बच्चे शामिल हैं। पड़ताल में सामने आया कि करीब 80 फीसदी से अधिक स्कूली बच्चों की मौत करंट लगने और डूबने से हुई है।

तमाम दुर्घटनाओं और मौत के बाद भी शिक्षा विभाग ने दो साल पहले सत्र 2022-23 में स्कूली बच्चों के लिए जारी विद्यार्थी दुर्घटना बीमा योजना को बंद कर दिया। इस योजना के तहत बच्चों या उनके परिजनों को बीमा के रूप में एक लाख रुपए प्राप्त होते हैं। हाल ही डीडवाना विधायक यूनुस खान की ओर से विधानसभा में लगाए एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने ये जानकारी दी है। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग की ओर से सत्र 202223 तक स्कूली बच्चों का दुर्घटना बीमा कराया जाता था। इसके तहत प्रत्येक बच्चे से पांच रुपए बीमा शुल्क भी लिया जाता था।

शिक्षा विभाग का तर्क

शिक्षा विभाग का तर्क है कि चिरंजीवी योजना शुरू होने के बाद इस योजना को बंद कर दिया। इसमें 10 लाख तक बीमा मिलता है। चौंकाने वाली बात यह है कि बीमा योजना बंद करने पर इसकी जानकारी विभाग ने बच्चों और उनके अभिभावकों को नहीं दी। ना ही यह बताया कि इसमें बीमा का फायदा किस तरह लिया जा सकता है।

राजस्थान विवि करता दुर्घटना बीमा

राजस्थान विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के प्रवेश के दौरान ही दुर्घटना बीमा कराया जाता है। इसके तहत विद्यार्थियों से 100 रुपए का शुल्क लिया जाता है। इसमें हादसे में मौत पर 12 लाख और दुर्घटना में इलाज पर एक लाख रुपए तक बीमा राशि मिलती है। विश्वविद्यालय की ओर से अभी तक चार करोड़ रुपए बीमा राशि के जारी हो चुके हैं।

इन कारणों से जा रही बच्चों की जान

सड़क दुर्घटना, डूबने से, करंट लगने, स्कूल बस दुर्घटना, बीमारी, आकस्मिक मृत्यु, गहरे नाले में डूबने से, छत गिरने से, मिट्टी में दबने से, डेंगू बीमारी, सांप के काटने से, कुंए में डूबने से, आकाशीय बिजली गिरने से, जलकुंड की पट्टियां टूटने से, जंगली जानवर के काटने से और दीवार गिरने से।

इन जिलों में बच्चों की सर्वाधिक मौत

क्रमांकजिलामौतें
1सीकर57
2अजमेर48
3करौली46
4राजसमंद38
5जोधपुर38
6बाड़मेर32
7सलूंबर28
8चित्तौड़गढ़27
9टोंक22
10अलवर18
11डीडवाना-कुचामन17
12चूरू15
13भीलवाड़ा12
14कोटा10
15उदयपुर10
16श्रीगंगानगर9