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बेसहारा मरीजों के लिए बने सहारा, 24 साल से लावारिसों की सेवा में जुटे हैं बलदेव चौधरी

दे दी हमें आजादी: बलदेव ने यह कार्य करीब 24 साल पहले शुरू किया था। वर्ष 2012 में उन्होंने संजीवनी सेवा समिति नाम से संस्था बना ली। तब से वे नियमित रूप से इस काम में जुटे हैं।

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बलदेव चौधरी (58) फोटो: पत्रिका

Inspirational Baldev Chaudhary: सवाईमानसिंह अस्पताल में कार्यरत कुम्हेर के मूल निवासी बलदेव ढाई दशक से लावारिस व बेसहारा मरीजों के लिए सहारा बने हुए हैं। उनका मानना है कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। वे हर दिन अस्पताल में भर्ती लावारिस व बेसहारा मरीजों की न केवल इलाज में मदद करते हैं, बल्कि उनके खाने-पीने, कपड़ों और बाद में घर या धर्मशाला तक पहुंचाने की व्यवस्था भी करते हैं।

बलदेव ने यह कार्य करीब 24 साल पहले शुरू किया था। वर्ष 2012 में उन्होंने संजीवनी सेवा समिति नाम से संस्था बना ली। तब से वे नियमित रूप से इस काम में जुटे हैं। अब तक वे हजारों मरीजों की सेवा कर चुके हैं। वर्ष 2014 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जैसे ही अस्पताल में कोई लावारिस मरीज भर्ती होता है, उन्हें तुरंत सूचना मिल जाती है।

अंतिम संस्कार भी करवा रहे

अक्सर एसएमएस अस्पताल में जहरखुरानी, दुर्घटनाग्रस्त लोग या अन्य राज्यों से आए मजदूर लावारिस हालत में भर्ती होते हैं। मरीज की छुट्टी तक उनके भोजन, दवा और देखभाल की पूरी जिम्मेदारी खुद निभाते हैं। यदि किसी मरीज की इलाज के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो वह उसका अंतिम संस्कार भी विधिपूर्वक करवाते हैं।

वर्ष 2000 में लावारिस-बेसहारा मरीजों की सेवा का कार्य शुरू किया। अब तक करीब 15 हजार मरीजों की कर चुके हैं देखभाल

प्रतिदिन 3 से 5 घंटे तक समय देते हैं सेवा कार्य को, सैकड़ों लावारिसों को अपनों से मिलवा चुके हैं।

अस्पताल के सहकर्मी, डॉक्टर और कई समाजसेवी भी इस काम में आगे आकर मरीजों की मदद कर रहे हैं।

  • बलदेव चौधरी