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भारत की अदालतों में ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाड़ा से अधिक दिन होती है सुनवाई, फिर लंबा होता जा रहा इंसाफ का इंतजार, पढ़ें ये रिपोर्ट

India Judicial System: भारत की अदालतों में ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाड़ा से अधिक दिन सुनवाई होती है। फिर भी केसों का अंबार लगा हुआ है।

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जयपुर

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Arvind Rao

Jun 16, 2025

India Judicial System

भारत की न्याय व्यवस्था (पत्रिका फाइल फोटो)

शैलेन्द्र अग्रवाल
जयपुर:
ज्यादातर न्यायाधीश इन दिनों परिवार सहित देश-दुनिया के भ्रमण पर हैं और अदालतों में आपात सुनवाई को छोड़कर सन्नाटा है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में लंबित आपराधिक मामलों पर सवाल उठाते हुए इनमें कमी लाने के उपाय खोजने को कहा था।


ऐसे में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बारे में आमजन के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है। हकीकत यह भी है कि भारत में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ब्रिटेन-आस्ट्रेलिया-कनाड़ा जैसे देशों से ज्यादा दिन काम होता है। फिर भी हमारे यहां अदालतों पर मुकदमों का अंबार है।


64 लाख से अधिक मुकदमों पर फैसले का इंतजार


सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में हर साल 23 लाख से अधिक मुकदमे तय होने पर भी 64 लाख से अधिक मुकदमों पर फैसले का इंतजार है। ऐसे हालात देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से लंबित मुकदमे घटाने के उपाय खोजने को कहा है।

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इसमें ग्रीष्मावकाश में कमी और शनिवार को सुनवाई का विकल्प शामिल है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में हर महीने एक कार्यदिवस बढ़ाने पर मंथन शुरू हो गया है। भारत में सुप्रीम कोर्ट में 13 जुलाई तक ग्रीष्मावकाश है और सुनवाई के लिए दो से पांच बैंच हैं।


सुप्रीम और हाईकोर्ट में 64 लाख से ज्यादा केस लंबित


-सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले 81730, सालाना निस्तारण करीब 50,000
-हाईकोर्ट में लंबित मामले 63,35,079, सालाना निस्तारण करीब 22.67 लाख

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट-कहां कितने कार्य दिवस


अमरीका में 200
ब्रिटेन में 180-190
ऑस्ट्रेलिया में 150-250
जापान में 230
चीन में 220
कनाड़ा में 90
भारत के सुप्रीम कोर्ट में 180 कार्य दिवस
हाईकोर्ट में 222 कार्य दिवस

ग्रीष्मावकाश में सुनवाई के लिए राजस्थान में एक नियमित और कुछ दिन तीन विशेष बैंच हैं। जबकि मध्यप्रदेश में सप्ताह में दो दिन सुनवाई होती है।