
जयपुर . चारदीवारी में अमरबेल की तरह फैल रहे अवैध कॉम्पलेक्स को लेकर अफसर कठघरे में आ गए हैं। स्वायत्त शासन विभाग के उस आदेश की पूरी तरह अवहेलना करने में जुटे हैं, जिसमें चारदीवारी में आवासीय हिस्से में व्यावसायिक गतिविधि पूरी तरह रोकने के निर्देश दिए गए। इसके लिए तो तत्कालीन महापौर ज्योति खंडेलवाल के कार्यकाल में सार्वजनिक सूचना तक जारी की गई। इसके बाद निगम अधिकारियों को हर हाल में इन गतिविधियों को अंकुश लगाने और व्यावसायिक गतिविधि करने वालों को चेताया गया। इसके बावजूद मौजूदा अफसर सरकार के आदेश की पालना नहीं कर रहे हैं।
गंभीर यह है कि लोगों ने उपायुक्तों को इसकी जानकारी दी, यहां तक कि इसकी प्रति भी उपलब्ध कराई, लेकिन नतीजा शून्य रहा। अब लोग स्वायत्त शासन मंत्री से मिलने की तैयारी में है। गौरतलब है कि हवेलियों को ध्वस्त कर 25 से ज्यादा अवैध कॉम्पलेक्स खड़े किए जा रहे हैं। यहां तक की मुशरफो का चौक में 3 कॉम्पलेक्स को दिया गया नोटिस भी दिखावा साबित हो रहा है। उपायुक्त हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
इस सार्वजनिक सूचना का उड़ा रहे मखौल
चारदीवारी में किसी भी आवासीय भवन को वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए परिवर्तन करने की स्वीकृति निगम स्तर पर प्रदान करने के लिए प्रतिबंधित किया हुआ है। लेकिन कई भू-स्वामी आवासीय स्वीकृति की आड़ में व्यावसायिक निर्माण और गतिविधि संचालित कर रहे हैं। व्यावसायिक उपयोग के लिए सम्पत्ति को बेचा भी जा रहा है। सार्वजनिक सूचना में अंकित है कि ऐसे में कोई भी व्यक्ति इन सम्पत्तियों को व्यावसायिक उपयोग के लिए क्रय नहीं करें। ऐसा होने पर नुकसान की जिम्मेदारी निर्माणकर्ता, बेचानकर्ता के साथ-साथ खरीददार की भी तय की गई
यह मामला भी गर्माया
हल्दियों का रास्ता, मनीरामजी की कोठी, भूखंड संख्या 410 को सील किया। निगम ने तारिक सलीम, अहमद सईद, मजहर हुसैन के नाम नोटिस भी जारी किया। कुछ माह पहले शपथ पत्र के आधार पर सील खोल दी। भूखंडधारी को अवैध निर्माण हटाने के लिए 30 दिन का वक्त दिया, आज भी भवन विनियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। अफसरों की शह पर यह खेल चल रहा है। यह तो उदाहरण है, ऐसे सैकड़ों मामलों में लोग प्रभावित हैं। कमला नेहरू मोहल्ला विकास समिति कई बार निगम अफसरों से गुहार कर चुकी हैं।

Published on:
24 Feb 2018 03:27 pm
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