
अमायरा (फोटो- पत्रिका)
Amayra death case: जयपुर: राजधानी जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा अमायरा की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। नौ साल की मासूम ने एक नवंबर को स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी थी।
बता दें कि शुरुआत में इसे आत्महत्या बताया गया। लेकिन परिजनों के गंभीर आरोपों और सोशल मीडिया पर उठे तूफान ने इस घटना को रहस्यमय बना दिया है। अब हर तरफ एक ही आवाज गूंज रही है “अमायरा को न्याय दो।”
इस घटना के बाद से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। “अमायरा को न्याय दो”, “स्कूल में सुरक्षित बचपन” और “बुलिंग बंद करो” जैसे नारे अब हर मंच पर छाए हुए हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स पर हजारों लोग स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग की लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं।
लोग कह रहे हैं कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी स्कूल की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। एक तरफ बच्ची की मौत हुई, दूसरी तरफ स्कूल प्रबंधन ने कई तथ्यों को छिपाने की कोशिश की। यही आरोप सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा गूंज रहा है।
एक वायरल पोस्ट में लिखा गया, “नामचीन स्कूलों में लाखों की फीस ली जाती है, पर बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता। आखिर अमायरा जैसी मासूम को कौन से डर ने इतना मजबूर किया?”
घटना के कुछ दिन बाद अमायरा का एक पुराना ऑडियो क्लिप वायरल हुआ, जिसमें वह अपनी मां से रोते हुए कहती है, “मां, मुझे स्कूल मत भेजो…वहां परेशान करते हैं।” यह आवाज सुनकर हर किसी का दिल पसीज गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाए, अगर बच्ची बार-बार स्कूल जाने से मना कर रही थी, तो स्कूल प्रशासन और शिक्षकों ने उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
एक यूजर ने लिखा, “यह केवल एक बच्ची की पुकार नहीं थी, यह पूरे समाज के लिए चेतावनी थी। अगर किसी ने उसकी बात सुनी होती, तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता।”दूसरे ने कहा, “स्कूल के नाम पर दिखावा है, लेकिन बच्चों की भावनाओं को सुनने वाला कोई नहीं, यह सिस्टम की नाकामी है।”
अमायरा की मौत ने सोशल मीडिया पर बुलिंग और मानसिक उत्पीड़न पर बहस छेड़ दी है। कई अभिभावकों ने अपने बच्चों के अनुभव साझा करते हुए कहा, निजी स्कूलों में बच्चों पर पढ़ाई का दबाव तो डाला जाता है। लेकिन उनके मनोभावों को समझने की कोई कोशिश नहीं होती।
कई टिप्पणियों में कहा गया, स्कूलों में अब मानसिक परामर्श और शिकायत निवारण की व्यवस्था अनिवार्य की जानी चाहिए। एक पोस्ट में लिखा गया, “बच्चे अगर डरकर चुप हैं, तो यह शिक्षकों की विफलता है। अमायरा की मौत को एक सबक बनाना होगा।”
अभिभावक संघों ने भी सोशल मीडिया पर लिखा, यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर सवाल है। उनका कहना है कि निजी स्कूलों में जवाबदेही का अभाव है और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अभिभावकों का गुस्सा खुलकर सामने आया है। एक मां ने लिखा, “हम बच्चों को भरोसे से स्कूल भेजते हैं, लेकिन वहां उनके साथ क्या हो रहा है, कोई नहीं जानता। अगर हमारी बच्ची सुरक्षित नहीं है, तो हम किस पर भरोसा करें?”
एक्स पर एक यूजर ने लिखा, “अगर बच्ची ने शिकायत की थी और उसे नजरअंदाज किया गया, तो यह सीधा अपराध है। स्कूल की मान्यता रद्द होनी चाहिए।” कई लोगों ने सरकार और पुलिस प्रशासन को टैग करते हुए लिखा, “अगर जांच निष्पक्ष नहीं हुई, तो जनता सड़क पर उतर जाएगी।”
इस घटना के बाद राजस्थान सरकार ने शिक्षा विभाग और पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा विभाग और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की संयुक्त टीम ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे राज्य सरकार को सौंपा जाना है।
राज्य की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने परिजनों से मुलाकात कर संवेदना जताई और कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी स्कूलों में सुरक्षा मानकों की समीक्षा के आदेश दिए हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि “बयान नहीं, कार्रवाई चाहिए।”
एक टिप्पणी में लिखा गया, “राजनीतिज्ञ आते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, वादे करते हैं और चले जाते हैं। लेकिन अमायरा अब लौटकर नहीं आएगी।” एक मनोचिकित्सक ने लिखा, “बच्चों को टॉपर बनाने की होड़ में हम यह भूल जाते हैं कि वे क्या महसूस कर रहे हैं। अमायरा की चुप्पी हमारी विफलता है।”
जांच के दौरान अमायरा की सहपाठियों ने बताया कि वह घटना वाले दिन सुबह से उदास थी और बार-बार कह रही थी कि उसे स्कूल नहीं आना चाहिए था। एक अध्यापक ने भी माना कि उसने हाल में कुछ बच्चों के व्यवहार को लेकर शिकायत की थी।
परिजनों का आरोप है कि अभिभावक-शिक्षक बैठक में भी उन्होंने स्कूल प्रशासन को बुलिंग की जानकारी दी थी, लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। पिता ने कहा, “हमारी इकलौती बेटी को स्कूल ने मारा है। अगर सच्चाई सामने नहीं आई, तो हम न्याय के लिए अदालत जाएंगे।”
सोशल मीडिया पर अब हजारों लोग अमायरा के परिवार के साथ खड़े हैं। कई जगह कैंडल मार्च और ऑनलाइन अभियान चलाए जा रहे हैं। एक पोस्ट में लिखा गया, “यह सिर्फ एक बच्ची की मौत नहीं, यह पूरे समाज की चेतावनी है। अगर आज नहीं जागे, तो कल और अमायराएं जाएंगी।”
Updated on:
12 Nov 2025 03:08 pm
Published on:
12 Nov 2025 03:04 pm
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