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JLF 2018- फेस्टिवल के 11वें संस्करण में साहित्य, थिएटर के ये नामचीन कलाकार बांधेंगे समां

सबसे बड़े साहित्यिक मेले और साहित्यिक कुंभ का दर्जा हासिल कर चुका जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल विचारों का विशाल मेला है।

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जयपुर

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Punit Kumar

Jan 23, 2018

Jaipur Literature Festival 2018

जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2018 साहित्य और प्रदर्शन कलाओं के संबंधों की संभावनाएं तलाशने के लिए पूरी तरह से तैयार है जिसके विभिन्न सत्र थिएटर, संगीत, नृत्य और प्रदर्शन कविताओं के स्वाद के जरिए और भी समृद्ध होंगे। तो वहीं भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्षों और यूके भारत संस्कृति वर्ष के उत्सवों के मौके पर भारतीय नृत्य के यूके के प्रमुख निर्माता एकेडमी द्वारा पेश किया जाने वाला द ट्राॅथ 1915 की लघु कथा का आयोजन किया जाएगा। जो चंद्रधर शर्मा गुलेरी की उसने कहा था पर आधारित है।

द ट्राॅथ मित्र देशों के युद्ध के प्रयासों में भारतीय सैनिकों द्वारा निभाई गई एकीकरण की भूमिका के बारे में है। जो बेल्जियम के डर के बीच सरदार लेहना सिंह के त्याग और एकतरफा प्रेम की कहानी बताता है। तो वहीं इसमें पुस्कार विजेता कोरियोग्राफर गैरी क्लार्क समकालीन नृत्य, संगीत और याद जिसे फिल्म के माध्यम से लाते नजर आते हैं। जो मार्मिक परिदृष्य को सामने लाते हैं। एक गंभीर मूक फिल्म के अनुभव के साथ दर्शक 1800 ईसवी के आखिर में ग्रामीण पंजाब की शांति से संघर्ष रक्तरंजित बेल्जियन इलाकों तक पहुंच जाते हैं। आपको बता दें कि यह आर्ट काउंसिल आॅफ इंग्लैंड और द ब्रिटिष काउंसिल के समर्थन से चलने वाले रिइमैजिन इंडिया प्रोग्राम का हिस्सा है। द ट्राॅथ में यूके के सबसे आकर्षक और विविधतापूर्ण युवा नर्तक देखने को मिलेंगे।

द रियज थिंग-

सर टाॅम स्टाॅपर्ड जानी-मानी थिएटर हस्ती संजना कपूर से बातचीत करते हुए दिखते हैं। स्टेज, टीवी और फिल्म के लिए लिखने वाले और महानतम जीवित कथाकारों में से एक हैं। जिन्हें शेक्सपियर इन लव और द रशिया हाउस के आॅस्कर पुरस्कृत स्क्रीनराइटर भी हैं और उन्हें चार टोनी अवार्ड्स भी मिल चुके हैं। एक पत्रकार और एक ड्रामा आलोचक के तौर पर अपना करियर शुरु करने वाले स्टाॅपर्ड राॅयल नेशनल थिएटर के प्रमुख लेखक और अंतरराश्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक प्रस्तुतियां देने वाले अपनी पीढ़ी के कलाकारों में से एक है।

तो वहीं नृत्य की कलात्मक गंभीरता और आकर्षक उत्कृश्टता फेस्टिवल के सत्र द डांसर एंड द डांस में जीवंत हो गई। जहां नृत्य की कला में दक्ष सोनल मानसिंह और जीवनी लेखक सुजाता प्रसाद बातचीत करती हैं। अ लाइफ लाइक नो अदर में मानसिंह ने तीन नृत्य प्रकारों- भरतनाट्यम, ओडिसी और छाउ के साथ ही आजादी के बाद के भारत में शास्त्रीय कला के विकास के बारे में और अपनी लगातार बदलती जिंदगी के बारे में चर्चा की है। जिसे उन्होंने उत्सुकता और बेजोड़ रचनात्मकता के साथ जिंदा रखा।

आॅन पेज, आॅन स्टेज एंड आॅन स्क्रीन में बच्चों की बेस्टसेलिंग किताब द ग्रुफालो की लेखक जुलिया डोनाल्डसन, अभिनेता डेरिल शुट और जुलिया के पति एवं बाल रोग विषेशज्ञ मैलकम डोनाल्डसन ने नुपूर पाइवा के साथ द ग्रुफालो द्वारा युवा पाठकों के लिए रची गई उज्ज्वल और अजीब दुनिया के बारे में बताती है। कहानी कहने, प्रस्तुतियों, कवितावाचन के मजेदार सत्र में डोनाल्डसन ने बच्चों के लिए लिखने, अपने काम में मजबूत प्रस्तुतिकरण के तत्व और मैजिक लाइट पिक्चर्स द्वारा द ग्रुफालो और अन्य किताबों के फिल्म के रूप में परिवर्तन की प्रक्रिया के बारे में बात की।

ग्लोब टू ग्लोब-

वाई शोक्सपियर वर्क्स इन एवरी कंट्री आॅफ द वल्र्ड अत्यंत आकर्शक सत्र है जहां ऐतिहासिक ग्लोब थिएटर के कला निदेशक डोमिनिक ड्रमगूले ने अविश्वसनीय सफर के बारे में बताया है। हेमलेट ग्लोब टू ग्लोब’’ एक यात्रा और एक अद्भूत अनुभव है जिसने दो वर्शों में 197 देषों में 1,90,000 मील से अधिक का सफर तय किया है। फेस्टिवल में ड्रमगूले अपने मेहनती और प्रभावी कलाकारों का परिचय कराएंगे। साथ ही अपनी यात्रा के दौरान आए उतार-चढ़ावों के बारे में बात करेंगे और अपनी महान थिएरिटकल यात्रा के चश्में से चर्चा करेंगे।

जबकि गर्ल्स बार कमिंग आउट आॅफ द वुड्स के साथ परफाॅर्मिंग पोएट्री यानी प्रस्तुति कविताएं फेस्टिवल के केंद्र में है जो एक शानदार शो होने का वादा करता है- हाफ डांस, हाफ रीडिंग-जिसमें देश के जाने-माने और प्रतिभाशाली युवा कवि हिस्सा लेंगे। मिल्क एंड हनी आकर्शक सत्र में आशुकवि और इंटरनेट पीढ़ी की प्रतिनिधि रुपी कौर ने दर्शकों के लिए प्रस्तुति देती हैं और उन चीजों का प्रदर्शनन करती हैं जिन्होंने एक बेजोड़ परिदृश्य बनाया है।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2018 के बारे में-

गौरतलब है कि धरती पर आयोजित होने वाले ’सबसे बड़े साहित्यिक मेले‘ और ’साहित्यिक कुंभ‘ का दर्जा हासिल कर चुका जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल विचारों का विशाल मेला है। जबकि पिछले एक दशक के दौरान इस मंच पर 2000 वक्ताओं ने शिरकत की। देश-विदेश से आए दस लाख से अधिक पुस्तक प्रेमियों ने इसमें भाग लिया। तो वहीं इसे एक वैश्विक साहित्यिक आयोजन बना डाला। फेस्टिवल के बुनियादी मूल्यों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह आज भी अपनी मूल भावना में लोकतांत्रिक, गुट-निरपेक्ष मंच बना हुआ है। जो सभी के लिए मुफ्त और निष्पक्ष सुगमता की पेशकश करता है।