
स्कूली बच्चों को समझाते हुए आरपीएफ अधिकारी (फोटो: पत्रिका)
Accident On Jaipur Junction: ट्रेन पकड़ने की हड़बड़ी, पटरी पार करने की जिद और अनुशासन तोड़ने की आदत,यही वजह है कि जयपुर मंडल अब हादसों का मानों स्थायी अड्डा बन गया है। हर महीने 60 से 65 लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं और इनमें से ज्यादातर अपनी जान गंवा बैठते हैं। जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद हालात नहीं बदल रहे।
दरअसल ट्रेन यात्रा में लापरवाही और जल्दबाजी यात्रियों की जान पर भारी पड़ रही है। हाल ही जयपुर जंक्शन पर एक डॉक्टर की चलती ट्रेन से उतरते समय गिरकर मौत हो गई। यह कोई पहला मामला नहीं है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के अनुसार जयपुर मंडल में रोजाना इस तरह की घटनाएं होती हैं। कभी ट्रेन से गिरने, कभी ट्रैक पार करने, कभी पटरियों पर बैठने और कभी आत्महत्या जैसी घटनाओं में लोग जान गंवा रहे हैं।
रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, जयपुर मंडल में हर महीने औसतन 60 से 65 हादसे होते हैं। इनमें सबसे ज्यादा घटनाएं ट्रैक पार करते समय होती हैं। ट्रेन से गिरने की भी हर महीने आठ से दस घटनाएं सामने आती हैं। ज्यादातर हादसे जयपुर, गांधी नगर और दुर्गापुरा स्टेशन पर होते हैं। अधिकारियों के अनुसार इन दुर्घटनाओं में लगभग 50 फीसदी मामलों में यात्रियों की मौत हो जाती है, 30 फीसदी गंभीर रूप से घायल और 20 फीसदी हल्की चोटों से प्रभावित होते हैं।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, ज्यादातर हादसे अचानक ट्रेन रुकने या प्लेटफॉर्म पर देर से पहुंचने के दौरान होते हैं।
यात्री समय बचाने, भीड़ से बचने या ट्रेन छूटने के डर से चलती ट्रेन से चढ़ने-उतरने की कोशिश करते हैं।
कई बार मौके पर मौजूद आरपीएफ स्टाफ जान बचा लेता है, लेकिन हर बार किस्मत साथ नहीं देती।
रेलवे लाइन पार करते समय भी बड़ी संख्या में लोग चपेट में आ रहे हैं।
इस तरह की दुर्घटनाओं से बचाव के लिए रेलवे लगातार यात्रियों को जागरूक करने के अभियान चला रहा है। यात्रियों की लापरवाही और जल्दबाजी जब तक नहीं रुकती, तब तक हादसे भी पूरी तरह थमना मुश्किल है। -ओंकार सिंह, वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त, जयपुर मंडल
यात्री संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि रेलवे प्रशासन को जयपुर जंक्शन जैसे बड़े स्टेशनों पर सुरक्षा इंतजाम और सख्त करने चाहिए। खासकर भीड़भाड़ के समय गेट मैनेजमेंट और मॉनिटरिंग सिस्टम को और मजबूत किया जाना चाहिए। वहीं, रेलवे प्रशासन का कहना है कि हादसों से बचने में सबसे बड़ा योगदान यात्रियों का अनुशासन ही है।
इतना ही नहीं, जल्दबाजी में कई लोग चेन पुलिंग भी कर देते हैं। हर महीने औसतन 100 से ज्यादा मामले सामने आते हैं, जिनमें से 50 फीसदी मामले अकेले जयपुर के होते हैं। ऐसा करने वालों में ज्यादातर दैनिक यात्री, विद्यार्थी और महिलाएं शामिल हैं।
Updated on:
15 Sept 2025 02:26 pm
Published on:
15 Sept 2025 02:25 pm
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