
जयपुर। कहा जाता है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता, फिर वह किसी के घर जाकर खाना बनाना हो या फिर साफ-सफाई का। अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करने और बच्चों को सक्षम बनाने के लिए जरूरत होने पर यह काम भी करना पड़े तो शर्म नहीं आनी चाहिए। यह कहना है जयपुर के जवाहर नगर इलाके में रहने वाली शिवानी मंडल का, जो पिछले 20 साल से लोगों के घरों में खाना बनाकर अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में लगी हुई हैं। उनका बेटा इंजीनियरिंग और बेटी नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रही है।
अशिक्षा को नहीं आने दिया आड़े
अपने संघर्ष की कहानी बयां करते हुए शिवानी ने बताया कि वह मूलरूप से कोलकाता की रहने वाली हैं, तकरीबन 21 साल पहले काम की तलाश उन्हें पति के साथ जयपुर ले आई। पति ने बेलदारी शुरू कर दी लेकिन उन्हें काम नहीं मिला, ऐसे में उन्होंने घरों में जाकर खाना बनाने का निर्णय लिया। पति और ससुराल पक्ष से हिचकते हुए ही सही अनुमति दे दी। इसके साथ ही शुरुआत हुई शिवानी के घर से बाहर निकल कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने की। इसमें उनका साथ दिया उनकी सास ने, दोनों मिलकर आसपास के कई घरों में खाना बनाने में जुटी रहीं, वहीं सास की मृत्यु के बाद शिवानी ने काम जारी रखा और आर्थिक रूप से संबल प्रदान करती रहीं।
दोनों बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाया
शिवानी कहती हैं कि वह खुद पढ़-लिख नहीं सकी लेकिन तय कर लिया था कि उनका बेटा बेलदारी नहीं करेगा और बेटी को कभी किसी के घर जाकर बर्तन मांजने या खाना बनाने का काम नहीं करने देंगी,इसलिए नहीं कि काम छोटा है बल्कि इसलिए कि वे पढ़ लिखकर बेहतर जीवन जी सकें। उन्होंने दोनों बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाया।
खुद के मकान का सपना साकार
आज शिवानी का जवाहर नगर में अपना खुद का मकान है, वहीं दोनों बच्चे भी जल्द ही अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे। शिवानी कहती हैं कि कभी सोचा नहीं था कि कभी अपना भी घर होगा। बस बच्चों को कुछ बनाने का सपना था जो पूरा हो रहा है। बच्चों का भी पूरा सपोर्ट है। अगर पढ़ी-लिखी होती तो शायद जीवन और बेहतर होता।
Published on:
29 May 2023 01:49 pm
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