प्रवीण वर्मा
Social Media Food Trends : जयपुर। शहर की गलियों में एक से बढ़कर एक किस्से छिपे हुए हैं... लेकिन रामगढ़ मोड़ की ये कचौड़ी की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही चटपटी भी। दरअसल यहां दो दुकानों के नामों को देखकर लोग पहले चौंकते हैं, फिर मुस्कुराते हैं और आखिर में गरमा-गरम कचौड़ी का स्वाद लेते हुए फोटो खिंचवाते हैं।
वजह हैं इनके नाम – ‘दुश्मन कचौड़ी वाला’ और उसी की कुछ दूरी पर ‘दोस्त कचौड़ी वाला’। जी हां, यही इनके असली नाम हैं। और इन नामों के पीछे की कहानी भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है।
रामगढ़ मोड़ पर सबसे पहले शुरू हुई थी ‘दुश्मन कचौड़ी वाला’ नाम की दुकान। इसके संचालक कैलाश हैं, जो पहले यहां एक चाय की टपरी चलाते थे। कैलाश बताते हैं – "कई हलवाई दोस्त आते-जाते रहते थे। एक दिन उन्होंने कहा चाय तो ठीक है, पर कचौड़ी चलाओ, स्वाद तुम्हारे हाथों में है। बस यहीं से शुरुआत हो गई कचौड़ी की।"
जब दुकान का नाम सोचने की बारी आई, तो कैलाश को याद आया एक मशहूर बॉलीवुड गाना – "दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है...", बस, नाम तय हो गया – ‘दुश्मन कचौड़ी वाला’। आस-पास के लोग, गुजरते टूरिस्ट, यहां तक कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर तक... सबने इस नाम को हाथों-हाथ लिया। कई लोग तो सिर्फ नाम की वजह से ही यहां आकर पूछते हैं – "भाईसाहब, कोई दुश्मनी चल रही है क्या?
कहते हैं जहां दुश्मनी हो, वहां दोस्ती भी पनपती है। ऐसा ही कुछ हुआ यहां। इसी ‘दुश्मन’ दुकान के ठीक पास शुरू हुई एक दूसरी दुकान – जो पहले किसी और नाम से चलती थी। इस दुकान के मालिक विष्णु खंडेलवाल हैं।
वे बताते हैं, "हमारी दुकान 1988 से चल रही है, पर नाम कुछ और था। लेकिन जब बगल में 'दुश्मन' नाम की दुकान आई, तो लगा... जब ये दुश्मनी फैला सकता है, तो हम दोस्ती क्यों नहीं? बस, सोच लिया और दुकान का नाम बदल दिया – ‘दोस्त कचौड़ी वाला’।''
‘दोस्त’ और ‘दुश्मन’ — दोनों ही नाम इतने अनोखे हैं कि अब ये सिर्फ दुकानें नहीं, बल्कि ब्रांड बन चुके हैं। जयपुर आने वाले पर्यटक, फूड ब्लॉगर और यहां तक कि विदेशी भी इन नामों को देखकर रुक जाते हैं। इन दुकानों पर न सिर्फ कचौड़ी का स्वाद लाजवाब है, बल्कि नामों की वजह से ग्राहक खुद सोशल मीडिया पर फ्री में प्रचार करते हैं। ग्राहक कहते हैं –"इतना बढ़िया कॉम्बिनेशन कहीं नहीं देखा — नाम में तड़का, स्वाद में चटाका!"
स्वाद की बात करें तो...दुश्मन कचौड़ी वाले की कचौड़ी खाकर लोग कहते हैं – "दुश्मन अगर ऐसा स्वाद दे, तो हर कोई दुश्मन ही चाहिए। वहीं, दोस्त कचौड़ी वाले की कचौड़ी के साथ में खट्टी-मीठी चटनी दिल जीत लेती है। दोनों दुकानों पर सुबह 7 बजे से भीड़ लगने लगती है और दोपहर तक स्टॉक खत्म हो जाता है।
रामगढ़ मोड़ की ये दोनों दुकानें ये साबित करती हैं कि नाम अगर हटके हो, तो वो खुद-ब-खुद ग्राहकों को खींच लाते हैं। जयपुर की इस अनोखी कचौड़ी जंग में न कोई हारता है, न जीतता है। यहां हर दिन स्वाद की जीत होती है, और नामों की दिलचस्पी ग्राहक को बांधे रखती है
Updated on:
09 Jul 2025 07:33 pm
Published on:
05 Jul 2025 02:03 pm